महाकुंभ मेला भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है। 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में आयोजित होने वाला यह महोत्सव करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए 5,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया है, जिससे शहर की आधारभूत संरचना को और सुदृढ़ बनाया जा सके।
महाकुंभ मेले ने हमेशा से ही रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाई है। प्रयागराज की जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) इस बार 1100 से अधिक कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान कर रही है। इनमें ड्राइवर, हेल्पर, सुपरवाइजर, सफाई कर्मी, और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं। इसके अलावा, श्रम विभाग ने 25,000 से अधिक श्रमिकों को कुंभ की तैयारियों में शामिल किया है।
महाकुंभ में महिलाओं को भी रोजगार के बड़े अवसर मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के 14,000 महिला स्वयं सहायता समूह पत्तल, दोना, कुल्हड़ और कपड़े के थैले बनाने में जुटे हुए हैं। यह काम सवा लाख महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ा रहा है।
स्थानीय व्यवसायों को नया जीवन: महाकुंभ मेले के दौरान स्थानीय व्यवसायों को भी भारी प्रोत्साहन मिलता है। तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण प्रयागराज में होटल, गेस्ट हाउस, और टेंट सेवाओं की मांग में तेज वृद्धि होती है। निषाद समुदाय युद्ध स्तर पर नाव निर्माण में लगा हुआ है, ताकि प्रशासन की 4,000 नावों की मांग पूरी हो सके।
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती: महाकुंभ केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालता है। 2019 के कुंभ मेले ने 1.2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न किया था, और 2025 में इससे अधिक की उम्मीद है। ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है, जो व्यापारिक लाभ को और बढ़ावा देगी।
पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व: महाकुंभ मेला भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है। संगम पर डुबकी लगाने के लिए आने वाले करोड़ों श्रद्धालु इस आयोजन को पवित्रता का प्रतीक मानते हैं। यह आयोजन स्थानीय कला, हस्तशिल्प, और देशी व्यंजनों को भी वैश्विक पहचान दिलाने का माध्यम बनता है।
आस्था और अर्थव्यवस्था का संगम: महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक विकास का एक अभूतपूर्व अवसर भी है। प्रयागराज इस आयोजन के माध्यम से न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सजीव करेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
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