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Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में विशेष स्नान का हिस्सा जरुर बने

महाकुंभ में विशेष स्नान
महाकुंभ में विशेष स्नान

महाकुंभ भारत के धार्मिक आयोजनों में सबसे भव्य और ऐतिहासिक पर्व है। हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला यह मेला न केवल श्रद्धालुओं बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। विशेष स्नान दिवस (Royal Bath Days) इस मेले के मुख्य आकर्षण होते हैं 

विशेष स्नान दिवस की विशेष धार्मिक मान्यताएं:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ के विशेष स्नान दिनों पर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से जीवन के समस्त पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। इन दिनों ग्रहों की स्थिति और शुभ मुहूर्त के अनुसार लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं।  

मुख्य विशेष स्नान तिथियां:

  1. मकर संक्रांति: मकर संक्रांति के स्नान से कुंभ पर्व का आगाज होता है।  
  2. मौनी अमावस्या: सर्वाधिक श्रद्धालुओं के संगम में स्नान करते है। इस दिन को कुंभ का दूसरा शाही स्नान दिवस कहा जाता है।  
  3. बसंत पंचमी: अध्यात्म और आस्था का उत्सव के उत्सव के पावन दिन में तीसरा शाही स्नान किया जाता है।  
  4. महाशिवरात्रि: शिव भक्तों के लिए प्रमुख स्नान पर्व का पर्व होता है। दर्शनार्थी संगम में स्नान कर दशासुमेर मंदिर जाकर भगवान भोलेनाथ का दर्शन करते है। यह मेले का आखरी शाही स्नान होता है।  

आध्यात्मिक अनुभव: महाकुंभ के दौरान विशेष स्नान दिवस पर मंत्रोच्चार, हवन, भजन-कीर्तन, और साधु-संतों की उपस्थिति पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। नागा साधुओं का शाही स्नान आस्था और परंपरा का प्रतीक होता है।  

व्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण: विशेष स्नान के दौरान गंगा नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए प्रशासन विशेष ध्यान देता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि नदियों का प्रदूषण रोका जा सके।  

महाकुंभ के विशेष स्नान दिवस न केवल धार्मिक आयोजन हैं बल्कि भारतीय संस्कृति, पर्यावरण जागरूकता और मानवता के मेल का प्रतीक भी हैं। यह आयोजन श्रद्धालुओं को आत्मा की शुद्धि और मन की शांति प्रदान करता है।  साथ ही देश की सांस्कृतिक समृद्धि को भी उजागर करता है। तो इस महाकुंभ आप भी अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने आ रहे है ना....

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