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दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण कई कारणों से होता है। इनमें उच्च जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में मानवजनित गतिविधियों का उच्च स्तर शामिल है, जो वाहनों से उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस कार्यों से उत्पन्न धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, बायोमास जलाना, ठोस कचरे को जलाना, लैंडफिल में आग लगाना और अन्य स्रोतों से होने वाला प्रदूषण शामिल हैं।
सर्दियों के दौरान, कम तापमान, कम मिश्रण ऊंचाई और स्थिर हवाओं के कारण प्रदूषक वातावरण में लंबे समय तक ठहर जाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। पराली जलाने और पटाखे जलाने जैसी गतिविधियों से प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ जाता है।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों सहित विभिन्न हितधारकों को "एक्स-सीटू पराली प्रबंधन" को बढ़ावा देने और पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र और आपूर्ति श्रृंखला तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया है।
विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित मॉडल अनुबंध के अनुसार, थर्मल पावर प्लांट अब पंजाब, हरियाणा और एनसीआर से प्राप्त चावल की पराली के रूप में न्यूनतम 50% बायोमास का उपयोग करेंगे। साथ ही, बिजली संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानकों को अधिसूचित किया गया है, जिन्हें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा लागू किया जाएगा।
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पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पराली के एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए बायोमास एकत्रीकरण उपकरण की खरीद हेतु कम्प्रेस्ड बायो-गैस उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना शुरू की है। इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने 2018 में पराली के इन-सीटू प्रबंधन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) की स्थापना के लिए सब्सिडी योजना शुरू की।
पराली प्रबंधन के लिए 3623 करोड़ रुपये की केंद्र सहायता: 2018 से 2024-25 के बीज केंद्र सरकार द्वारा कुल 3623.45 करोड़ रुपये पराली प्रबंधन के लिए सहायता जारी की गई है। इसमें पंजाब के लिये 1681.45 करोड़ रुपये, हरियाणा 1081.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश 763.67 करोड़ रुपये, दिल्ली 6.05 करोड़ रुपये, आईसीएआर 83.35 करोड़ रुपये जारी किया गया है। इन राज्यों में 40,000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और 3 लाख से अधिक मशीनें वितरित की गई हैं। इनमें से 4500 से अधिक बेलर और रेक का उपयोग पराली को गांठों में बदलने के लिए किया गया है।
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए अन्य प्रमुख उपाय:
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