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फसल अवशेष जलाने के प्रबंधन पर कृषि मंत्री की बैठक, पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाने के मामलों में काफी कमी

धान की पराली जलाए बिना पराली का प्रबंधन
धान की पराली जलाए बिना पराली का प्रबंधन

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान और अन्य मंत्रियों ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आज एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई। बैठक में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री, दिल्ली सरकार के पर्यावरण अधिकारी एवं वन मंत्री और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली और एनसीआर में एक्यूआई आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

पराली प्रबंधन के लिए सरकार देगी प्रोत्साहन राशि :

उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के राज्य सरकारों के मंत्रियों ने धान की पराली को जलाने से रोकने के लिए उनके द्वारा की जा रही कार्रवाई और किसानों को धान की पराली जलाए बिना पराली का प्रबंधन करने के लिए समर्थन देने के उद्देश्य से कार्यान्वित की जा रही विभिन्न पहलों की जानकारी दी। 
हरियाणा सरकार के मंत्री ने किसानों को प्रोत्साहनों की जानकारी दी, जिसमें फसलों की गांठें बनाकर अवशेषों के प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी। पानीपत में 2जी इथेनॉल संयंत्र के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा पहचाने गए क्लस्टरों में उपरोक्त के अलावा 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन का अतिरिक्त टॉप अप, 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से धान के भूसे की सामान्य निर्धारित दर की घोषणा की गई है। 

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 275 करोड़ की सहायता :

पिछले साल की तुलना में इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं लगभग 35 प्रतिशत कम हुई हैं, वहीं हरियाणा में 21 प्रतिशत कम हुई हैं। अब तक 600.00 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से करीब 275.00 करोड़ रुपये की राशि पहले ही राज्यों को जारी की जा चुकी है। यह योजना किसानों, सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय सहायता के तहत से इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के उपयोग को बढ़ावा दी जाती है। 

किसानों को मशीनरी खरीद पर 65% वित्तीय सहायता :

यह योजना विभिन्न एजेंसियां और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत 3 अटारी और 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के जरिये पराली प्रबंधन के संबंध में बडे पैमाने के साथ जागरूकता पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित करती है। सरकार 1.50 करोड़ रुपये तक की लागत वाली मशीनरी की पूंजीगत लागत पर 65 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान करती है जिसका मुख्य उद्देश्य बायोमास बिजली उत्पादन और जैव ईंधन क्षेत्रों में उद्योगों के लिए धान की पराली की एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जायेगी।

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पराली प्रबंधन के लिये 3 लाख मशीनों का उपयोग :

आगामी सीजन के दौरान धान की पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्यों ने सूक्ष्म स्तर पर पहले ही एक व्यापक कार्य योजना तैयार कर ली है। अब तक आपूर्ति की गई 3.00 लाख से अधिक मशीनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। सीआरएम मशीनों के साथ बायो-डीकंपोजर का व्यापक उपयोग भी पराली के इन-सीटू अपघटन को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। धान की पराली के साथ गन्ने का कचरा विभिन्न औद्योगिक अपशिष्ट आदि को जलाने से देश में प्रदूषण का स्तर में वृद्धि हो रही है और विशेष रूप से दिल्ली में यह समस्या गंभीर है जिससे लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।

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