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Mint farming: पुदीना की खेती: जानें इसकी उन्नत कृषि तकनीक, बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफे का अवसर

पुदीना की खेती
पुदीना की खेती

पुदीना (मिंट) एक सुगंधित जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग चटनी, जलजीरा, दही, छाछ और विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। इसके अलावा पुदीने से निकाला गया तेल औषधीय और व्यावसायिक दृष्टि से काफ़ी उपयोगी होता है। पुदीना सुखाकर भी स्टोर किया जा सकता है, जिससे इसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है। बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत मिलने के कारण किसानों के लिए पुदीने की खेती एक लाभदायक विकल्प साबित हो सकती है।

पुदीना की खेती के लिये मिट्टी, जलवायु और तापमान:

पुदीने की खेती के लिए उपजाऊ और जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। भारी एवं चिकनी मिट्टी में इसका उत्पादन अच्छा नहीं होता। इसके लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। जलवायु की दृष्टि से समशीतोष्ण क्षेत्र पुदीने की खेती के लिए आदर्श हैं। इसे जायद और खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है, लेकिन सर्दियों में पाला पड़ने से फसल को नुकसान हो सकता है। अंकुरण के लिए तापमान 20-25°C, उचित विकास के लिए 30°C, अधिकतम सहनशीलता 40°C होना चाहिए।

खेत की तैयारी और पौध तैयार करना:

  1. खेत की गहरी जुताई कर उसे कुछ दिन खुला छोड़ दें।
  2. फिर खेत में गोबर की खाद मिलाकर जुताई करें और मिट्टी को समतल करें।
  3. डेढ़ से दो महीने पहले नर्सरी में पौध तैयार करें।
  4. जब पौधे तैयार हो जाएं, तो इन्हें तैयार खेत की क्यारियों में रोपित करें।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन:

  1. मिट्टी में नमी बनाए रखना आवश्यक है।
  2. गर्मी में हर 2-3 दिन में हल्की सिंचाई करें।
  3. सर्दी में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  4. प्रति एकड़ 15-20 गाड़ी सड़ी गोबर की खाद डालें।
  5. अंतिम जुताई के समय एन.पी.के. उर्वरक का प्रयोग करें।
  6. फसल के बढ़ने के बाद तीसरी-चौथी सिंचाई के साथ 20 किलो नाइट्रोजन डालें।
  7. खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान दें।

कटाई और उत्पादन: पुदीना की पहली कटाई, रोपाई के 3 महीने बाद और दूसरी कटाई पहली कटाई के 2 महीने बाद करना चाहिए। कटाई हमेशा 4-5 सेमी ऊपर से करें, ताकि पौधे का पुनः विकास हो सके। कटाई के बाद पत्तियों को 2-3 घंटे धूप में सुखाएं, फिर छांव में रखकर तेल निकालें। 1 हेक्टेयर पुदीना खेती से लगभग 100 लीटर तेल प्राप्त होता है।

आर्थिक लाभ: पुदीने का तेल बाज़ार में काफी ऊंचे दाम में बिकता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है। सही तकनीक अपनाकर पुदीने की खेती से बेहतर उत्पादन और आर्थिक समृद्धि हासिल की जा सकती है।

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