By khetivyapar
पोस्टेड: 05 Dec, 2023 12:00 PM IST Updated Tue, 08 Oct 2024 09:49 AM IST
मिट्टी को पुनर्जीवित करना" यह एक प्रक्रिया है जो हमारे पृथ्वी के असली हीरे, अर्थात मिट्टी, को दोबारा जीवंत और सकारात्मक बनाने का साहस रखती है। मिट्टी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, और इसमें हमें पता चलता है कि कैसे यह अनूठी धारा हमें नये जीवन का संचार करती है। तकनीकी और जैविक उपायों के माध्यम से हम अपनी मिट्टी को फिर से उसके पूर्व गौरवमय स्वरूप में परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे हम न केवल अपने कृषि प्रणालियों को सुरक्षित बना सकते हैं, बल्कि हम भी एक स्वस्थ और सतत वातावरण का समर्थन कर सकते हैं।
ग्रामीण कृषि और संतुलन Rural agriculture and balance:
भारतीय समृद्धि की मूल भूमिका ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की है। यह सेक्टर देश की आर्थिक विकास की ऊर्जा को बढ़ाने, जनसंख्या को रोजगार प्रदान करने, और आर्थिक समानता की स्थापना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रहे कृषि के उदारीकरण से, नए उत्पादों की खोज और उत्पादन, स्थानीय बाजारों की प्रोत्साहन, और किसानों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं। ग्रामीण कृषि न केवल खाद्य सुरक्षा की अवधारणा को बढ़ाती है, बल्कि यह स्थानीय अर्थतंत्र को भी सुदृढ़ करती है और गाँवों में आर्थिक संतुलन का सृजन करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन ने न केवल उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि यहां के किसानों को नए और उन्नत तकनीकों के साथ मिलकर उनकी आजीविका को भी सुरक्षित बनाए रखा है।
डिजिटल ग्रीन और कृषि Digital Green and Agriculture:
आधुनिक युग में, जहां तकनीकी उन्नति ने हर क्षेत्र को छूना है, वहीं कृषि में भी डिजिटलीकरण का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे हम 'डिजिटल ग्रीन' कह सकते हैं। डिजिटल ग्रीन कृषि एक सामरिक और तकनीकी दृष्टिकोण से समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाती है, जो सुस्त और दक्षिण एशिया के कृषि क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा है।
डिजिटल ग्रीन कृषि का उद्दीपन, उन्नत तकनीकी साधनों का कृषि प्रणाली में उपयोग करने का है। यह बिजली, सेंसर्स, रोबोटिक्स, और एनालिटिक्स का समृद्धिपूर्ण इस्तेमाल करता है ताकि किसान अपनी खेतों की पूर्वानुमानित जरूरतों को समझ सके और उन्हें सही समय पर पूरा कर सके। इससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि यह किसानों को बेहतरीन नियंत्रण और नेतृत्व की सुविधा भी प्रदान करता है।
डिजिटल ग्रीन कृषि के माध्यम से, विभिन्न प्रकार के सेंसर्स का उपयोग किया जा सकता है, जो मौसम, जलवायु, और मिट्टी की आदतों को मापता है।
मिट्टी के प्रबंधन के लिए सुझाव :
- पोषण की समीक्षा: नियमित अंतराल पर मिट्टी का पोषण स्तर मापन करना महत्वपूर्ण है ताकि सही मात्रा में उर्वरक पौधों को मिल सके।
- जल संरक्षण: समय पर समय पर सही मात्रा में पानी प्रदान करना और सुरक्षित सिंचाई पद्धतियों का अनुसरण करना जरूरी है।
- कच्चे कोम्पोस्ट का प्रयोग: जीवाणु, छाल, और और्गनिक सामग्री का उपयोग करके कच्चे कोम्पोस्ट का निर्माण करना मिट्टी को सुषमा बनाए रखने के लिए मदद करता है।
उर्वरकों के प्रबंधन के लिए सुझाव :
- समीक्षा और अनुकरण: मिट्टी में उपस्थित उर्वरकों की स्तिथि का नियमित अंतराल पर समीक्षा करना और उर्वरकों को योजनाबद्ध रूप से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
- समतलीकृत और योजनाबद्ध उर्वरकों का उपयोग: उर्वरकों को सही मात्रा में प्रदान करने के लिए समतलीकृत और योजनाबद्ध उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।
- जैव उर्वरकों का अधिक प्रचार: जैव उर्वरकों का प्रचार करके सृजनात्मक जीवाणुओं को मिट्टी में बढ़ावा देना और उर्वरकों का पुनर्चक्रण करना मिट्टी की फ्यूट्र सुनिश्चित करता है।
नई तकनीकों के उपयोग का फायदा Benefits of using new technologies:
- समय और श्रम की बचत : नई तकनीकें खेती के कई कामों को स्वचालित बना देती हैं, जिससे किसानों को समय और श्रम में कमी होती है।
- उच्च उत्पादनता : स्वचालित मशीनरी और तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- विज्ञानिक खेती : सांगठनात्मक तकनीकों का उपयोग करके, किसान विज्ञानिक खेती अनुसंधान में सहारा लेता है, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से सुधारित तकनीकी योजनाओं का लाभ उठा सकता है।
- कृषि में नई तकनीकें :
- स्वचालित बोना : इसका उपयोग बुआई के लिए किया जा सकता है, जो समय और श्रम की बचत करता है और बुआई को सही तरीके से करता है।
- नियंत्रण प्रणाली : सेंसर्स और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके कृषकों को मौसम, जलवायु, और उर्वरकों की सही मात्रा को स्वचालित रूप से नियंत्रित करने में मदद करता है।
- बिजली संग्रहण तकनीक : नई तकनीकें बिजली संग्रहण तकनीकों का उपयोग करके किसानों को बिजली सप्लाई को स्वचालित रूप से प्रबंधित करने का अवसर प्रदान करती हैं, जिससे उनकी बिजली की खपत को कम किया जा सकता है।
विश्व मृदा दिवस पर प्रतिबद्धता Commitment on World Soil Day:
विश्व मृदा दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हरित कृषि और उर्वरक प्रबंधन में सुधार की प्रोत्साहन करने के लिए समर्पित है। इस दिन, हम सभी किसानों और कृषि पेशेवरों को विशेष रूप से समर्पित होकर मृदा स्वास्थ्य और उर्वरक प्रबंधन में सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध होने का वादा करते हैं।
मृदा स्वास्थ्य पर गहरा ध्यान:
- पोषण का संतुलन : मृदा स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि पोषण संतुलन को बनाए रखा जाए। यह सुनिश्चित करना हमारी फसलों को सही मात्रा में पोषण प्रदान करता है और उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखता है।
- कच्चे कोम्पोस्ट का उपयोग : कच्चे कोम्पोस्ट का नियमित रूप से उपयोग करके हम मृदा को सुषमा बनाए रख सकते हैं। इससे मृदा की फ्यूट्र बनाए रखना हमारी खेती के लिए लाभकारी है।
- विशेष आचरण और जागरूकता :
- शिक्षा कार्यक्रम : किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य और उर्वरक प्रबंधन के बारे में शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करना और उन्हें नई तकनीकों के साथ अवगत करना आवश्यक है।
- किसान मेला और संगोष्ठी : किसानों को एक साथ आने और अनुभव बांटने का अवसर देने के लिए किसान मेला और संगोष्ठी आयोजित करना महत्वपूर्ण है।