विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2025 का वर्ष भारत के लिए वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला होगा। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार 3.0 द्वारा लाई गई भारत की पहली जैव प्रौद्योगिकी नीति BIO-E3 (बायोटेक्नोलॉजी फॉर इकॉनमी, एम्प्लॉयमेंट और एनवायरनमेंट) ने इस दिशा में मार्ग प्रशस्त किया है।
डॉ. सिंह ने दूरदर्शन न्यूज को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दशक में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी भारत के भविष्य में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी क्योंकि देश नवाचार, तकनीकी हस्तक्षेप और स्टार्टअप्स को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के विज़न ने हमेशा नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता दी है, जिससे भारत वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी पावरहाउस में बदल गया है। यह भी कहा कि "जैव प्रौद्योगिकी चौथी औद्योगिक क्रांति के केंद्र में है और भारत इसमें प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में कैबिनेट द्वारा स्वीकृत BIO-E3 नीति को जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था, रोजगार के अवसरों और पर्यावरणीय स्थिरता को मजबूत करेगी।
भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र:
स्टार्टअप्स और नवाचार में बढ़त: डॉ. सिंह ने भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग से किए जा रहे नवाचारों की सराहना की, जैसे गैर-मानव दूध और अन्य स्थायी उत्पाद।
भविष्य की ओर अग्रसर भारत: डॉ. सिंह ने कहा कि भारत अब केवल प्रौद्योगिकी और नवाचार में अन्य देशों का अनुसरण नहीं करता, बल्कि अन्य देश भारत से प्रेरणा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत ने वैश्विक नेतृत्व स्थापित किया है। डॉ. सिंह ने घोषणा की कि जल्द ही एक भारतीय मूल का व्यक्ति अमेरिकी स्पेस स्टेशन भेजा जाएगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष तकनीक में बढ़ते प्रभाव को बल मिलेगा।