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गर्मियों के मौसम में मूंग की खेती में कीटनाशकों का कम करें उपयोग, किसानों को होगा लाभ

गर्मियों में मूंग की खेती
गर्मियों में मूंग की खेती

मध्य प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों की आमदनी में सुधार हो रहा है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने किसानों से अपील की है कि मूंग की फसल में कीटनाशक और खरपतवारनाशक दवाइयों का कम से कम उपयोग करें। प्रदेश में इस साल करीब 14.39 लाख हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती हो रही है, जिससे लगभग 20.29 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है। औसतन प्रति हेक्टेयर 1410 किलोग्राम मूंग का उत्पादन हो रहा है। एम.पी. के नर्मदापुरम, जबलपुर और भोपाल संभाग में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है।

किसानों को क्यों सावधानी बरतनी चाहिए?

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती में कीटनाशक और खरपतवारनाशक दवाओं का अत्यधिक उपयोग देखा जा रहा है। खासकर, पेराक्वाट डाइक्लोराइड जैसी खरपतवारनाशक दवा का अधिक प्रयोग किया जा रहा है, जिससे फसल जल्दी पकती है। लेकिन इसका अवशेष मूंग में रह जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

जैविक खेती अपनाकर बेहतर उत्पादन करें:

मंत्री श्री कंषाना ने किसानों से जैविक और प्राकृतिक तरीकों से खेती करने का आग्रह किया है। किसान फसल चक्र, मिश्रित खेती और जैविक खादों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और उत्पादन में भी सुधार होगा।

किसानों के लिए सुझाव:

  1. कीटनाशक और खरपतवारनाशक का उपयोग कम करें।
  2. फसल सुरक्षा के लिए नीम तेल और जैविक घोल का उपयोग करें।
  3. मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए हरी खाद और जैविक खाद का प्रयोग करें।
  4. सरकारी योजनाओं के तहत जैविक खेती से जुड़ी सहायता और प्रशिक्षण का लाभ उठाएं।

अगर किसान प्राकृतिक तरीकों से मूंग की खेती करें, तो उनकी सेहत सुरक्षित रहेगी और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी। इससे बाज़ार में मूंग की मांग भी बढ़ेगी और किसानों को उचित मूल्य मिलेगा।
 

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