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भारत उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में मूंग का महत्वपूर्ण स्थान है। किसान मूंग की खेती करके बेहतर उत्पादन और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य में गरम मौसम में मूंग की खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को बीजों का वितरण कर रही है। मूंग में भरपूर प्रोटीन के साथ आयरन की मात्रा भी काफी अधिक पाई जाती है, जिससे बाजारों में अच्छी मांग रहती है।
संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि, बिहार में 80 प्रतिशत से ज्यादा मूंग की खेती गरम मौसम में की जाती है। बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा राज्य के 4,06,107 किसानों को 33,307 क्विंटल मूंग के बीज वितरण किया गया है।
कैसे करें बीजों का उपचार: ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई में करीब 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ मूंग लेना चाहिए। इसके बाद 3 ग्राम थायरम फफूंदनाशक दवा से प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करने से बीज और भूमि जन्य बीमारियों से फसल सुरक्षित रहती है। इसके अलावा 600 ग्राम राइज़ोबियम कल्चर को किसी पात्र में लेकर 1 लीटर पानी में डाल दें। साथ ही 250 ग्राम गुड़ को मिलाकर गर्म कर लें, और ठंडा होने के बाद बीज को उपचारित कर बुवाई कर दें।
कब करें मूंग फसल की सिंचाई: ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल को पानी की कम आवश्यकता होती है। मूंग की फसल 25 से 40 डिग्री तक का तापमान सहन कर सकती है। यदि फूल आने की अवस्था पर सिंचाई करते हैं तो उपज में काफी वृद्धि होती है।
मूंग की खेती से किसानों को लाभ: संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि, मूंग की खेती न केवल धान-गेहूं फसल चक्र में सघनता को बढ़ाती है, बल्कि फसलों के उत्पादन, उत्पादकता और मिट्टी की उर्वरा-शक्ति में भी वृद्धि होती है। मूंग की फसल में ज्यादा तापमान सहन करने की क्षमता होती है साथ ही किसान इसकी खेती करके कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं। बताया गया कि, गर्मी के मौसम में मूंग की खेती करने के दो फायदे हो सकते हैं। पहला किसान मूंग के फली की तुड़ाई कर उपज प्राप्त करते हैं और दूसरा फली तुड़ाई के बाद इसके पौधे को मिट्टी में दबाकर हरी खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।