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एमपी के मुख्यमंत्री घर लेकर आए दुनिया की सबसे छोटी गाय, जिसका घी बिकता है 50 हजार रूपये प्रति किलोग्राम, आइए Khetivyapar पर जानें

एमपी के मुख्यमंत्री घर लेकर आए दुनिया की सबसे छोटी गाय
एमपी के मुख्यमंत्री घर लेकर आए दुनिया की सबसे छोटी गाय

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को अपने घर 2 फीट वाली पुंगनूर गाय को लेकर आए हैं। इस गाय की तस्वीरों को मुख्यमंत्री जी ने सोशल मीडिया पर साझा की, इन तस्वीरों में सीएम निवास में मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव पुंगनूर गौमाता की आरती और साथ ही प्यार-दुलार करते हुए नजर आ रहे हैं। छोटे पैरों व छोटे कद वाली पुंगनूर नस्ल की गौमाता की सेवा से सीएम मोहन यादव जीवन को धन्य बनाने की प्रेरणा दे रहे हैं। इस नस्ल की गाय अब भारत में विलुप्त होने की कगार पर हैं। श्री मोहन यादव ने ट्वीट किया है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदीजी की प्रेरणा से अब इस नस्ल की गाय न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि देश के अन्य जगहों पर इसके लगातार संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं।

पुंगनूर गाय की खासियत:

पुंगनूर गाय की इस ब्रीड को दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में विकसित किया गया है। यह दुनिया की सबसे छोटी गाय होती है जिसकी हाइट 16 से 22 इंच (2 फीट) तक होती है। पुंगनूर गाय की नस्ल 112  साल पुरानी ब्रीड है साथ ही इस गाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके दूध से बनने वाले घी की कीमत 50 हजार रूपये प्रति किलोग्राम तक बेचा जाता है। इस गाय की कीमत 10 लाख रूपये से चालू होती है। यह गाय बहुत कम चारा खाती है, माना गया है कि यह एक दिन में लगभग 5 किलो चारा खा लेती है, इसलिये इस नस्ल को सूखा प्रतिरोधी नस्ल गाय भी कहा जाता है। इनका वजन 100-200 किलो के बीच होता है।

पुंगनूर गाय से दूध का उत्पादन:

गाय की यह नस्ल मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिये जानी जाता है। इस गाय का दूध अन्य पशु नस्लों के दूध की तुलना में वसा की मात्रा ज्यादा होती है। इस गाय के दूध में 8 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है। इसमें कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। इस नस्ल के दूध से घी, मक्खन और दही अधिक मात्रा में बना सकते हैं। 

पुंगनूर गाय विलुप्त होने की कगार पर: 

पुंगनूर गाय अपने सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के लिये स्थानीय लोगों द्वारा पूजनीय है। पुंगनूर गाय लुप्तप्राय नस्ल है, जिसके कुछ ही नस्ल बची हैं। 2019-20 में पशु संगणना और एनबीएजीआर के मुताबिक देश में इस नस्ल की केवल 13275 गाय बची हैं। 2020 में इस नस्ल की गाय के संरक्षण के लिये आंध्रप्रदेश सरकार ने 69 करोड़ का बजट रखा गया था।

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