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वाराणसी: काशी के कोने-कोने में भगवान शिव बसे हुए है। बनारस की गलियां बम-बम भोले की धुन में मस्त रहती है। काशी केवल विश्वनाथ धाम के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि यहां की हर गली शिव को समर्पित है। ऐसे कई प्राचीन मंदिर है जिनके विषय़ में जानकर आप चकित रह जाऐंगे। इनमें से एक है मृत्युंजय मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन और यहां मौजूद कुएं का पानी पीने से बरसों पुराने रोगों का नाश हो जाता है।
वाराणसी के पवित्र स्थानों में से एक महामृत्युंजय मंदिर का इतिहास प्राचीन कुएं और शिवलिंग से जुड़ा हुआ हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाते है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद कुएं का पानी पीने से लोगों की शारीरिक परेशानियों का इलाज होता है। सदियों से लोग इस कुएं का पानी पीने मंदिर परिसर में आते है। मान्यता है कि कुएं के पानी में कई सारी भूमिगत जलधाराओं का मिश्रण है जिसके कारण कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इसके चमत्कारी प्रभाव देखे जाते है। लोगों का मानना है कि आयुर्वेद के पिता धनवंतरी ने अपनी सारी औषधि इसी कुएं में डाल दी थी इसलिए इस कुएं का पानी पवित्र है और औषधीय गुण के साथ कई रोगों का इलाज करने में सक्षम है।
महामृत्युंजय महादेव मंदिर की वास्तुकला भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता का सुंदर उदाहरण है। मंदिर का मुख्य भाग भगवान शिव के शिवलिंग को समर्पित है, जिसे "महामृत्युंजय शिवलिंग" कहा जाता है। इस प्राचीन शिवलिंग को अकाल मृत्यु से मुक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है। मंदिर की दीवारों पर बनाए गये धार्मिक चित्र और नक्काशी पौराणिक कहानियों को दर्शाती हैं। गर्भगृह और बाहरी संरचना पारंपरिक भारतीय मंदिर शैली में बने हुए हैं। मंदिर का शांत वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। आसपास का क्षेत्र भी प्राकृतिक सुंदरता और पवित्रता से भरपूर है।
कैसे पहुंचे मृत्युंजय मंदिर: महामृत्युंजय महादेव मंदिर वाराणसी के मुख्य इलाके में स्थित है और यहाँ पहुंचने के लिए आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं। यह मंदिर कालभैरव मंदिर के समीप दारानगर विश्वेश्वरगंज में है। वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 10-12 किलोमीटर है।
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