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रवीश ने पांच साल पहले अपने पिता से यह पांच एकड़ खेत लिया था, दक्षिणी कर्नाटक में कई फार्मों की तरह यह परिवार सुपारी और नारियल की खेती करते थे। लेकिन जल्द ही, खेत को पानी की कमी का सामना करना पड़ा और फ़सलों को बचाने के लिए, परिवार ने कई बोरवेलों में निवेश किया। और उनको घाटा सहना पडा। इसके बाद उन्होने मल्टीलेयर फार्मिंग शुरू किया और इस फार्म से उनकी किस्मत पूरी तरह बदल गई। पर्वतारोही जैसे मिर्च नारियल जैसे ऊंचे पेड़ों के आसपास उगाए जाते हैं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार किया जा सकता है।
देश में कृषि योग्य भूमि पर मल्टी लेयर फार्मिंग का उपयोग करके एक ही स्थान पर कई फसलें उगाई जा सकती हैं। इसके लिए किसानों को पहले जमीन में ऐसी फसल को बोना चाहिए जो कि भूमि के अंदर उगती है। उसके बाद उसी खेत में सब्जी और अन्य पौधों को लगा सकते हैं।
छोटे किसान आज की स्थिति में जीवित नहीं रह सकते क्योंकि आजकल खेती महंगी हो गई है। खेती का खर्च कम करने के लिए किसानों को मल्टीलेयर फार्मिंग अपनाने की जरूरत है। उन्होने अपने खेत में 8-10 लेयर सिस्टम तैयार किये हैं। आज रवीश अपने खेत से लगभग 70 किस्मों के फल और सब्जियां उगाते हैं। इस विधि का उपयोग करके एक ही स्थान पर कई फसलें उगाई जा सकती हैं। मोनोकल्चर पद्धति में, एक बीमारी या कीमत में गिरावट आपको बर्बाद कर सकती है, लेकिन पॉलीकल्चर में, किसान एक फसल पर निर्भर नहीं होते हैं। यदि एक फसल रोग की चपेट में आ जाती है, तो भी अन्य से कुछ पैसा कमाना संभव है। रवीश के अनुसार 2 और 3 एकड़ वाले किसानों को मल्टीलेयर खेती करना चाहिए।
मल्टीलेयर फार्मिंग से किसानों को मुनाफा: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक छोटे और मध्यमवर्गीय किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है जिनके पास खेती के लिए जमीन कम होती है। वो एक साथ कई अलग-अलग फसलों की खेती एक ही जगह पर कर सकते हैं। इस तकनीक की मदद से खेती की लागत कम हो जाती है। वहीं उपज और मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मल्टीलेयर फार्मिंग करने पर यदि एक लाख रुपये की लागत आती है तो किसान आराम से 5-6 लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है।