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प्रमुख तिलहनी फसल में से एक सरसों इन दिनों बोई जा चुकी है. इस ठंड के मौसम में सरसों की फसल लहलहा रही है. सरसों कई कामों में इस्तेमाल होती है. ऐसे में यह देश के किसानों के लिए मुनाफे की फसल है. लेकिन इन दिनों अधिक सर्दी पड़ने से इस फसल को खतरा है. कई राज्यों में किसानों के सामने इस फसल को लेकर कुछ समस्याएं आ रही हैं. इनमें सफेद रोली नामक रोग देखने को मिल रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार कड़ाके की ठंड और कोहरे की वजह से इस रोग का प्रकोप सरसों की फसल के ऊपर देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में किसानों के लिए इस खबर में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनकी मदद से किसान सरसों की फसल बचा सकते हैं.
इन दिनों सरसों की फसल में सफेद रोली रोग लग रहा है. विशेषज्ञ कहते हैं की ऐसा तब होता है जब सरसों की फसल को पर्याप्त मात्रा में धूप न मिले. धूप ना मिलने से यह रोग बढ़ जाता है. ऐसे में किसी किसान की फसल में यह बीमारी लग भी गई है तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसान समय रहते हुए इसका इलाज कृषि विभाग द्वारा बताए गए कुछ आसान उपायों से कर सकते हैं. हालांकि अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज नहीं किया जाए तो यह फसल का 15 फीसदी दाना खराब कर सकती है. जिससे किसानों को नुकसान होता है.
इन दोनों देश के कई राज्यों में ठंड पड़ रही है. कोहरे और ठंड के कारण धूप ना के बराबर निकल रही है. इसकी वजह से खेतों में लहलहा रही फसलों को पूरी तरह से सूर्य की किरणें और सरसों की खड़ी फसल को विटामिन डी भरपूर मात्रा में नहीं मिल पा रही है. इससे सरसों की फसल को नुकसान होने का खतरा बना हुआ है. अगर सरसों की फसल में सफेद रोली रोग लग गया है तो किसानों को इससे बचने के लिए फसल पर प्रति एकड़ 25 किलो सल्फर पाउडर का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा किसान केरोफेन लिक्विड कीटनाशक भी छिड़क सकते हैं.
सफेद रोली रोग लगने के लक्षण: सरसों के लिए सफेद रोली रोग काफी घातक है. सरसों के पौधों में सफेद रोली बीमारी लगने से पौधे में भोजन लेने की क्षमता कम हो जाती है. यह रोग सरसों के पत्तों के साथ तने के रस चूस लेता है, जिससे पौधा पनपता नहीं है और दाना कमजोर पड़ जाता है. ऐसे में उत्पादन में कमी आ जाती है. ऐसे में फसल बर्बाद होने से किसान नुकसान झेलते हैं.