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भारतीय सांस्कृतिक तथा धार्मिक परंपराओं में विभिन्न त्योहार और व्रत एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन त्योहारों और व्रतों के माध्यम से लोग अपने आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन को संजीवनी दे रहे रीतिरिवाजों को आत्मसात करते हैं। एक ऐसा महत्वपूर्ण त्योहार है "देवउठनी एकादशी" जो गन्ने की पूजा के साथ मनाया जाता है। इनमें से एक विशेष पर्व है "देवउठनी एकादशी" जिसे गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, और कुछ अन्य राज्यों में गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व का एक विशेष और रूचिकर तरीके से मनाया जाने वाला पहलू है "गन्ने की पूजा"।
देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है, जिससे भगवान विष्णु और देवी तुलसी के बीच स्वर्गीय संयोजन का प्रतीक है। विभिन्न पुराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, देवी तुलसी ने अपनी भक्ति और तपस्या के माध्यम से भगवान विष्णु का प्रेम जीता और अंत में उनकी निष्ठापूर्ण पत्नी बनी। इस पवित्र विवाह का उत्सव भक्त और देवता के बीच गहरे संबंध की याद दिलाता है, आध्यात्मिक शुद्धता और प्रतिबद्धता के महत्व को बल देता है।
गन्ने की पूजा का महत्व:
देवउठनी एकादशी के दिन, व्रत रखने वाले भक्तों ने खास रूप से गन्ने की पूजा को महत्वपूर्ण माना है। तुलसी विवाह के रस्मों के दौरान, तुलसी पौध के नीचे, गन्ने का रस पूजा के दौरान अर्पित किया जाता है। गन्ने का रस को ताजगीभरे गुणों से युक्त माना जाता है, और इसका पूजन मानवीय आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है, खासकर देवी तुलसी से।
पुराणिक किस्सों के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने गन्ने की पूजा की थी, और इसके कारण उन्हें अनगिनत दिव्य आशीर्वाद मिले थे। गन्ने के रस की मिठास से प्रभावित होकर भगवान कृष्ण ने गन्ने की पूजा को उन्नत किया, जिससे यह दिन लोग गन्ने का रस अर्पित करके समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद की कामना करते हैं।
देवउठनी एकादशी के दौरान गन्ने की पूजा पुराणिक और पौराणिक नींवों से ऊपर उठकर, समकालीन जीवन के लिए एक आदर्श प्रयास के रूप में कार्य करती है। यह आचार विद्वेषण व्यक्तियों को समग्र कल्याण - शारीरिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से - प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। गन्ने के रस में मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए लाभकारी माने जाते हैं, और इसके सेवन के माध्यम से व्यक्तियों अपने शरीर को शुद्ध कर सकते हैं और उसे आध्यात्मिक प्रयासों के लिए अधिक सुसंगत बना सकते हैं।
देवउठनी एकादशी का महत्व:
देवउठनी एकादशी, साथ ही गन्ने की पूजा के साथ, एक गहन धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश लेकर चलता है। इस दिन को श्रद्धाभक्ति और उत्साह के साथ मनाने से भक्त को उस त्योहार में समर्पित होने की अनुभूति होती है, जिसमें सम्मिलित विचारशीलता, शांति और खुशी का एक अहसास होता है।
धार्मिक और सामाजिक संबंध:
देवउठनी एकादशी के दिन, गन्ने की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। गन्ने की गन्ध, फूल, और बेल पत्रों के साथ विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। गन्ना हमारे जीवन का प्रतीक है जो हमें मिठास और संबंधों का महत्वपूर्ण सिखाता है। गन्ने की पूजा से यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने जीवन में मिठास और पोषण प्रबंधन को बनाए रखने के लिए आपसी समर्थन की आवश्यकता है।
धर्मिक आयाम के साथ-साथ, गन्ने की पूजा हमें सांस्कृतिक एकता और समरसता की महत्वपूर्णता की भी शिक्षा देती है। इस पूजा में समृद्धि, समरसता, और एकता का किसानों के लिए भी अद्वितीय महत्व रखता है। गन्ने की पूजा का महत्व खेती में एक विशेष परिणाम होता है, जिससे किसानों को कई लाभ होते हैं।
देवुठानी एकादशी और उससे जुड़ी गन्ने की पूजा हमें हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की गहराईयों को महसूस करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक जागरूकता की ओर एक यात्रा है और हमारे अस्तित्व को परिभाषित करने वाले मूल्यों का अन्वेषण है। देवुठानी एकादशी को समर्पितता से और गन्ने की रूढ़िवादी पूजा को शामिल करके व्यक्तियों और परिवारों को होलिस्टिक विकास की दिशा में प्रस्तुत होने का एक माध्यम प्रदान होता है, हमारी परंपराओं के प्राचीन ज्ञान को समकालीन जीवन की मांगों के साथ मिलाकर।
देवुठानी एकादशी और उससे जुड़ी गन्ने की पूजा हमें हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की गहराईयों को महसूस करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक जागरूकता की ओर एक यात्रा है और हमारे अस्तित्व को परिभाषित करने वाले मूल्यों का अन्वेषण है। देवुठानी एकादशी को समर्पितता से और गन्ने की रूढ़िवादी पूजा को शामिल करके व्यक्तियों और परिवारों को होलिस्टिक विकास की दिशा में प्रस्तुत होने का एक माध्यम प्रदान होता है, हमारी परंपराओं के प्राचीन ज्ञान को समकालीन जीवन की मांगों के साथ मिलाकर।
About Author
Rajiv Singh
Co-Founder Editor KhetiVyapar
The author is a media professionals of 30 year plus experience haring worked in diversified roles in the Times of India, Hindustan Times, Khaleej Times (UAE) Dainik Bhaskar and Amar Ujala. In the last 5 years he has been working to help Indian farmers adapt to new farming techniques and has built a Data led advisory platform.
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