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Mahakumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ में जल्द होंगे नागा साधुओं के दर्शन, जानिए कौन है नागा साधु

नागा साधुओं के दर्शन
नागा साधुओं के दर्शन

नागा साधु सनातन धर्म में कठोर तप और संयम के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जीवन धर्म और साधना को समर्पित होता है। ये साधु सांसारिक जीवन से दूर, भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करके साधना और धर्म प्रचार करते हैं। नागा साधु वस्त्र नहीं पहनते, बल्कि भस्म (राख) का लेप लगाकर जीवन व्यतीत करते हैं। यह भस्म उनकी आस्था और साधना का प्रतीक होती है जो उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त दिखाती है।

दीक्षा और नागा साधु बनने की प्रक्रिया Initiation and process of becoming a Naga Sadhu:

नागा साधु बनने के लिए एक व्यक्ति को अखाड़े से जुड़ना होता है। यह प्रक्रिया कठिन और अनुशासनपूर्ण होती है। साधु बनने के इच्छुक व्यक्ति को दीक्षा के दौरान सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों का त्याग करना होता है। दीक्षा प्रक्रिया में कठोर साधना, मंत्रोच्चारण और गुरु के मार्गदर्शन में विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

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जीवनशैली और कर्तव्य Lifestyle and Duties::

नागा साधु दिनचर्या में योग, ध्यान और मंत्र जाप करते हैं। वे समाज में धर्म और आध्यात्मिकता का प्रचार करते हैं। इनका उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना और मानवता के कल्याण के लिए कार्य करना होता है। नागा साधु विभिन्न धार्मिक आयोजनों और कुंभ मेलों में अपनी भूमिका निभाते हैं। कुंभ मेले में इनकी शाही स्नान यात्रा खास आकर्षण होती है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: नागा साधु भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा हैं। उनके त्याग और तपस्या से समाज को धर्म और आध्यात्मिकता की शिक्षा मिलती है। कुंभ मेले में उनकी उपस्थिति भारत की सांस्कृतिक गहराई और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है।

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