भारत सरकार ने उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) 1985 के तहत नैनो डीएपी को बायो-एफिकेसी परीक्षण और विषाक्तता परीक्षणों के आधार पर अधिसूचित किया है। म.स. कोरमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड (CIL), म.स. जुआरी फार्म हब लिमिटेड और म.स. भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) को नैनो डीएपी का निर्माण करने की अनुमति दी गई है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने बताया कि IFFCO और CIL ने नैनो डीएपी विकसित किया है और चयनित कृषि विश्वविद्यालयों/ICAR संस्थानों में चयनित फसलों पर प्रारंभिक क्षेत्र परीक्षण किए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, नैनो डीएपी का बीज उपचार और पत्तियों पर छिड़काव के रूप में उपयोग करने से पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए गए ग्रेन्युलर डीएपी की बचत संभव हो सकती है।
नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए महाअभियान: उर्वरक विभाग ने उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर देश के सभी 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए महाअभियान की शुरुआत की है। इसके तहत परामर्श और क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, नैनो यूरिया प्लस के लिए 100 जिलों में क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शन और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
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