केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करना और मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाना है। इस मिशन के तहत 30,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों से अवगत कराएंगी। मिशन का लक्ष्य प्राकृतिक खेती को एक जन आंदोलन के रूप में स्थापित करना है, जो किसानों को टिकाऊ और रसायन मुक्त खेती की ओर प्रेरित करेगा।
केंद्र सरकार ने एनएमएनएफ के लिए निर्देश जारी किए हैं और 7 दिसंबर 2024 तक राज्य सरकारों से इस पर प्रतिक्रिया मांगी है। इस मिशन के अंतर्गत कृषि सखियों का प्रशिक्षण देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों और विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। ये सखियां किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों से परिचित कराएंगी और जागरूकता फैलाएंगी।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का बजट और लक्ष्य:
कृषि सखियों की भूमिका: कृषि सखियां किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों और इसके लाभों के बारे में प्रशिक्षित करेंगी। ये सखियां प्रत्येक चयनित समूह में 125 किसानों को प्रशिक्षण देंगी। प्रशिक्षण में जैविक खाद और उर्वरक बनाने के तरीके, फसल चक्र और अन्य प्राकृतिक खेती तकनीकों से किसानों को अवगत कराया जाएगा।
निष्कर्ष: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 30,000 प्रशिक्षित कृषि सखियां इस लक्ष्य को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह मिशन न केवल कृषि क्षेत्र में सुधार लाएगा, बल्कि मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।