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राष्ट्रीय रबी अभियान : 2024-25 के लिए 341.55 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित

ड्रोन के उपयोग पर जोर
ड्रोन के उपयोग पर जोर

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित NASC कॉम्प्लेक्स में रबी अभियान 2024 के लिए राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य पिछले फसली मौसमों के प्रदर्शन की समीक्षा करना और आगामी रबी सीजन के लिए फसलवार लक्ष्य तय करना था। इसके साथ ही सम्मेलन में कृषि में नवीन प्रथाओं और डिजिटल पहलों पर चर्चा की गई ताकि आवश्यक कृषि-इनपुट्स की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और उत्पादन में सुधार हो सके।

जैविक खेती और उत्पादन लागत को कम करने पर जोर

अपने संबोधन में, श्री चौहान ने रसायनों पर निर्भरता कम करने और जैविक तथा प्राकृतिक खेती के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "हमें किसानों को वाजिब दाम देने के साथ-साथ परिवहन लागत को कम कर खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के बीच अंतर को घटाना होगा।" श्री चौहान ने घोषणा की कि 2024-25 के लिए राष्ट्रीय खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 341.55 मिलियन टन निर्धारित किया गया है, जिसमें कृषि-जलवायु परिस्थितियों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए त्वरित सहायता की अपील

कृषि राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने राज्य सरकारों से बाढ़ और चक्रवात से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कृषि-इनपुट्स की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और वरिष्ठ अधिकारियों और शोधकर्ताओं से बाजार में उपलब्ध इनपुट्स की जांच करने का अनुरोध किया।

तेल और दलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर

कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने अनुसंधान संगठनों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे देश को दाल और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 2022-23 में 39.2 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) से 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन तक तिलहन उत्पादन बढ़ाने का है।

उन्नत प्रौद्योगिकी और मशीनीकरण को बढ़ावा देना

सम्मेलन में राज्य प्रतिनिधियों के साथ तिलहन और दलहन उत्पादन बढ़ाने, डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म और बीज प्रमाणीकरण जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई। सरकार का लक्ष्य तिलहन की खेती के तहत क्षेत्र को 29 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 33 मिलियन हेक्टेयर करना और पैदावार को 1,353 किलोग्राम/हेक्टेयर से 2,112 किलोग्राम/हेक्टेयर तक सुधारना है। इस दौरान मशीनीकरण और उच्च पैदावार वाली बीज किस्मों के विकास पर भी चर्चा की गई।

एग्री-टेक नवाचारों का प्रदर्शन

राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) और एकीकृत कीटनाशक प्रबंधन प्रणाली (IPMS) जैसी नवीन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। NPSS का उद्देश्य कीट प्रकोप की भविष्यवाणी और प्रबंधन करना है, जबकि IPMS कीटनाशक गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसी तरह, बीज प्रमाणीकरण, ट्रेसबिलिटी और समग्र इन्वेंटरी (SATHI) पोर्टल को बीज उत्पादन और वितरण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया।

ड्रोन के उपयोग और जलवायु-प्रतिरोधी बीजों पर जोर

उर्वरक सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा ने नैनो यूरिया के छिड़काव और फसल निगरानी के लिए ड्रोन के उपयोग पर जोर दिया। DARE के सचिव और ICAR के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने राज्यों से जैव-समृद्ध और जलवायु-प्रतिरोधी बीज किस्मों को अपनाने का आग्रह किया ताकि कृषि उत्पादकता बढ़ाई जा सके।

राज्यों ने प्रस्तुत की चुनौतियाँ और समाधान

सम्मेलन का समापन राज्य के कृषि मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत से हुआ, जिसमें उन्होंने अपने राज्यों में फसल कवरेज, पैदावार और उत्पादन को बढ़ाने के लिए चुनौतियों और समाधान प्रस्तुत किए। यह सम्मेलन भारत को विश्व की सबसे बड़ी खाद्य टोकरी बनाने के लक्ष्य के साथ कृषि नीतियों और प्रथाओं को संरेखित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।
 

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