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आज समय में पुरुष और महिलाओं की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में समान भागीदारी रही है। महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है जहाँ ग्रामीण महिलाएँ कृषि में सबसे अधिक योगदान दे रही हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि महिलाएं देश को दूसरी हरित क्रांति की ओर ले जा सकती हैं और यदि उन्हें अवसर और सुविधाएं मिलें तो वे विकास की तस्वीर बदल सकती हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हर वर्ष 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 15 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाए जाने से प्रेरित है। आज सभी कृषि विश्वविद्यालय, संस्थान और केवीके राष्ट्रीय महिला किसान दिवस मना रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। कृषि में वे बहुआयामी भूमिका निभाती हैं। इतना ही नही वे कृषि क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अपनी जमीन पर काम करने वाले मजदूर व कृषि उत्पादन के प्रबंधन में भी महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार भारतीय कृषि में महिलाओं की भूमिका लगभग 32 प्रतिशत है, जबकि कुछ राज्यों में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान पुरुषों से अधिक है। कृषि क्षेत्रों में लगभग 48 प्रतिशत रोजगार में महिलाएं सम्मिलित हैं, जबकि करीब 7.5 करोड़ महिलाएं दूध उत्पादन और पशुधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
कृषि कृषि आधारित क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करने तथा भूमि, ऋण एवं अन्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच में सुधार लाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय किसान नीति के तहत घरेलू एवं कृषि भूमि दोनों के लिए संयुक्त पट्टे जैसे नीतिगत प्रावधान किए हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये नई प्रौद्योगिकी और अन्य कृषि संसाधनों तक उनकी पहुँच बढ़ाने के लिए संस्थानों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1996 में मंत्रालय ने ओडिशा के भुवनेश्वर में आईसीएआर-केंद्रीय कृषि महिला संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान कृषि में महिलाओं से संबंधित कई पहलुओं पर काम करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 100 से अधिक संस्थानों ने महिलाओं की मुश्किलें कम करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए तकनीक विकसित की है। देश में 680 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में गृह विज्ञान विंग है। वर्ष 2016-17 में महिलाओं से संबंधित 21 तकनीकों का मूल्यांकन किया गया और 2.56 लाख महिलाओं को कृषि से संबंधित क्षेत्रों जैसे सिलाई, विनिर्माण, मूल्य संवर्धन, ग्रामीण हस्तशिल्प, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि में प्रशिक्षित किया गया। इसके अलावा, विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों और विकास संबंधी गतिविधियों के तहत कम से कम 30% धनराशि महिलाओं के लिए निर्धारित की जा रही है।
सरकारों द्वारा महिला किसानों को सशक्त बनाने और उनको आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के लिये कई योजनाएं, पहल और नीतियां शुरू की हैं।