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डेयरी क्षेत्र को हरित बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी, एनडीडीबी सस्टेन प्लस परियोजना का शुभारंभ

डेयरी क्षेत्र में सतत विकास की नई पहल
डेयरी क्षेत्र में सतत विकास की नई पहल

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) द्वारा 3 मार्च 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में 'डेयरी क्षेत्र में सततता और परिपत्रता' विषय पर कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। 

डेयरी क्षेत्र में सतत विकास की नई पहल:

  1. एनडीडीबी और NABARD के बीच समझौता ज्ञापन: डेयरी क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी, वित्तीय और क्रियान्वयन सहायता प्रदान करने हेतु MoU पर हस्ताक्षर किए गए।  
  2. एनडीडीबी और 15 राज्यों के 26 मिल्क यूनियनों के बीच समझौता: देशभर में बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए यह समझौता हुआ। 
  3. डेयरी क्षेत्र के हरित विकास हेतु दिशानिर्देश जारी: इस अवसर पर सतत डेयरी विकास के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए गए। 
  4. एनडीडीबी सस्टेन प्लस परियोजना का शुभारंभ: इस पहल के तहत सस्टेनेबल डेयरी समाधानों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 
  5. NDDB की नई वित्तीय योजना: छोटे बायोगैस संयंत्रों, बड़े बायोगैस संयंत्रों और संपीड़ित बायोगैस (CBG) परियोजनाओं के लिए ₹1,000 करोड़ का प्रावधान किया गया।

गोबर से बायोफ्यूल बनाने की पहल से किसानों की आय बढ़ेगी:

केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने डेयरी क्षेत्र में परिपत्रता और स्थिरता पर जोर देते हुए कहा कि गोबर से ईंधन उत्पादन किसानों की आय में वृद्धि करेगा। उन्होंने बताया कि भारत में 53 करोड़ पशुधन में से 30 करोड़ गाय और भैंस हैं, जिससे प्रचुर मात्रा में गोबर उपलब्ध है, जिसे जैविक खाद, बायोफ्यूल आदि में परिवर्तित कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने सरकार के प्रयासों से डेयरी क्षेत्र को संगठित रूप देने की सराहना की और सतत अर्थव्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के महत्व को रेखांकित किया।

डेयरी क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की योजना:

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव, श्रीमती अल्का उपाध्याय ने कहा कि भारत को 'दुनिया की डेयरी' माना जाता है, और यह क्षेत्र कृषि GVA का 30% योगदान करता है। उन्होंने सतत डेयरी समाधान अपनाने पर जोर दिया और डेयरी क्षेत्र में परिपत्र अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को एकीकृत करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि NDDB की नई वित्तीय योजना के तहत अगले 10 वर्षों में विभिन्न खाद प्रबंधन मॉडलों को बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा।

तीन प्रमुख सस्टेनेबिलिटी मॉडल: भारत सरकार और NDDB के नेतृत्व में डेयरी क्षेत्र में प्रमुख खाद प्रबंधन पहलें शुरू की गई हैं। इनमें जकरियापुरा मॉडल, बनास मॉडल और वाराणसी मॉडल उल्लेखनीय हैं, जो गोबर को दूध के समान ही एक मूल्यवान वस्तु के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित हैं। इन मॉडलों से डेयरी क्षेत्र में सततता और परिपत्रता को बढ़ावा मिलेगा, जिससे हरित विकास और किसानों की आर्थिक उन्नति सुनिश्चित होगी।

कार्यशाला में प्रमुख चर्चाएँ: कार्यशाला में नीतिगत ढांचा और वित्तीय तंत्र पर चर्चा हुई, जिससे डेयरी क्षेत्र में सततता और परिपत्रता को बढ़ावा मिल सके। इसमें सफल परिपत्र अर्थव्यवस्था मॉडल, छोटे डेयरी किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट अवसर, सतत डेयरी समाधानों को बढ़ावा देने में कार्बन ट्रेडिंग की भूमिका, गोबर आधारित बायोगैस और उर्वरक उत्पादन को व्यावसायिक रूप देना, डेयरी क्षेत्र में हरित ऊर्जा और नवाचार पर चर्चा हुई।

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