सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि नई तकनीक और सहकारिता किसानों के उत्थान का आधार हैं। खेत, खलिहान और किसान सरकार की प्राथमिकता में हैं, और विकसित भारत की परिकल्पना में इनकी अहम भूमिका है। इनके समुचित विकास के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं, और सरकार इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिससे राज्य में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ और सात बार लगातार कृषि कर्मण अवार्ड भी मिला।
मंत्री श्री सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार कृषि को उन्नत बनाने के लिए हर क्षेत्र में कार्य कर रही है। सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को व्यवसायी के रूप में परिवर्तित करना है, और यह केवल सहकारिता के माध्यम से ही संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) के माध्यम से किसानों को ऑर्गेनिक खेती से जोड़ा जाएगा, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
मंत्री श्री सारंग ने कहा कि यह एफपीओ कॉन्क्लेव सहकारिता की भावना को और मजबूत करेगा। उन्होंने बताया कि आज के समय में सहकारिता के माध्यम से नई-नई तकनीकों को अपनाना, फूड प्रोसेसिंग पर कार्य करना और खेती में वैल्यू एडिशन करना आवश्यक हो गया है। इसके लिए सरकार हरसंभव सहायता देने को तैयार है।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि एफपीओ और फूड प्रोसेसिंग को मजबूत बनाना किसानों की आत्मनिर्भरता की कुंजी है। उन्होंने फसल विविधीकरण और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार जल्द ही एक बड़े फूड प्रोसेसिंग सम्मेलन का आयोजन करेगी, जहां किसानों, उद्यमियों, खरीदारों और विक्रेताओं को एक मंच पर लाया जाएगा।
कृषि आधारित उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा: मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार कई योजनाओं पर कार्य कर रही है। मध्यप्रदेश मसाला उद्योग में देश में पहले स्थान पर है, और सरकार किसानों को सहकारिता के माध्यम से आगे बढ़ाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग के पोर्टल पर नए किसानों का पंजीकरण शुरू हो गया है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे विकसित कृषि तकनीकों को अपनाएं और उद्यानिकी से भी जुड़ें, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
जैविक खेती और कृषि यंत्रों पर अनुदान: देश जैविक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि इससे फसलों पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कोई परियोजना लगाती है, तो सरकार 35% तक का अनुदान दे रही है। इसके अलावा, विभिन्न कृषि उपकरणों पर भी सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक कृषि यंत्रों की मरम्मत, प्रबंधन और उपकरण स्टोर्स की स्थापना जरूरी है। इससे किसानों को समय पर उचित सहायता मिलेगी और वे अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे।