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रबी के सीजन में गेहूं की फसल की बुवाई के लिए सिंचाई वाले क्षेत्रों के किसानों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने गेहूं की नई उन्नत किस्म एचडी3410 की सिफारिश की है। यह किस्म तेजी से बढ़ने वाली अधिक उपज देने वाली और कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक गेहूं की एचडी3410 किस्म केवल 130-135 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि पारंपरिक गेहूं की किस्मों को 145-155 दिन का समय लगता है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 65-70 क्विंटल तक की उपज देती है, जो अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.6% पाया जाता है, जिससे इसकी बाजारों में मांग काफी बढ़ जाती है।
पौधों की ऊंचाई और विशेषताएं: गेहूं एचडी3410 किस्म के पौधे छोटे 100-105 सेमी होते हैं, जिससे यह हवा या अन्य प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के प्रति अधिक सहनशील है। इस किस्म से उत्पादित गेहूं से उच्च गुणवत्ता वाला आटा, ब्रेड और बिस्किट तैयार होते हैं।
गेहूं एचडी3410 की बुवाई उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों के सिंचाई वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। इस किस्म को कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन समय पर सिंचाई न होने पर फसल प्रभावित हो सकती है। जिन किसानों के पास नहर, नलकूप या तालाब जैसी सिंचाई सुविधाएं हैं, वे इस किस्म को अपनाकर कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों के हित में उन्नत किस्म का विकास: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने फरवरी 2023 में इस किस्म को विकसित कर लॉन्च किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे बुवाई के लिए मंजूरी दी। गेहूं एचडी3410 को जल्दी बुवाई के लिए उपयुक्त बताते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने इसे अधिक लाभकारी और टिकाऊ खेती के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
निष्कर्ष: अधिक पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं एचडी3410 किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प है। यह किस्म न केवल कम समय में अधिक उपज देती है, बल्कि बाजार में इसकी प्रोटीन और गुणवत्ता के कारण अधिक मांग भी रहती है। इस उन्नत किस्म को अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ टिकाऊ कृषि की दिशा में भी कदम बढ़ा सकते हैं।
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