कृषि मंत्रालय द्वारा मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता योजना 2014-15 से लागू की गई है। अब तक देशभर में 24.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) तैयार किए गए हैं और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को ₹1706.18 करोड़ की राशि जारी की गई है। वर्तमान में देशभर में 8272 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (1068 स्थैतिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 163 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 6376 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम स्तर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं) की स्थापना की गई है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शॉर्ट-टर्म प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करता है। यह प्रशिक्षण (3 दिन) मृदा डेटाबेस का उपयोग, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, एकीकृत जलसंकट प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और मृदा सर्वेक्षण एवं मानचित्रण जैसे विषयों पर आधारित होते हैं। वर्ष 2024 में पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों के कृषि, वन, मृदा और जल संरक्षण विभाग के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, और 2025 में जम्मू और कश्मीर सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
अब तक देश में 665 ग्राम स्तर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना 17 राज्यों में की गई है। इनमें से कुछ प्रयोगशालाओं को उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा स्थापित किया गया है, लेकिन इनका डेटा केंद्रीकृत रूप से संकलित नहीं किया गया है।
1:10,000 पैमाने पर 290 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर: अब तक भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण ने 1:10,000 के पैमाने पर लगभग 290 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मृदा मानचित्रण पूरा किया है, जिसमें 40 आकांक्षी जिले शामिल हैं। किसानों द्वारा उर्वरक के न्यायसंगत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण ने 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1987 ग्राम स्तर मृदा उर्वरता मानचित्र भी तैयार किए हैं।