खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन, अंतर-जिला एवं जिला स्तर पर उपार्जन केंद्रों से दी गई धान के सत्यापन और अन्य शिकायतों की जांच के लिए जिला कलेक्टर्स को विशेष जांच दल गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने इन मामलों की सात दिन के भीतर विस्तृत जांच कराने के सख्त निर्देश दिए हैं।
सख्त कार्रवाई के निर्देश: खाद्य मंत्री श्री राजपूत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गोदामों में धान की कमी पाए जाने की स्थिति में संबंधित उपार्जन समिति, परिवहनकर्ता और अन्य जिम्मेदारों से शॉर्टेज की राशि वसूली जाए और प्रभावित किसानों को तुरंत भुगतान किया जाए। इसके अलावा, अनियमितताओं को रोकने के लिए सरकार ने डिजिटल निगरानी प्रणाली अपनाने के निर्देश दिए हैं। सभी उपार्जन केंद्रों से उठाई गई धान की सीएसएमएस पोर्टल पर एंट्री कर वाहनों की ट्रैकिंग सुनिश्चित की जाएगी। टोल नाकों और परिवहन विभाग से मिली जानकारी के आधार पर धान परिवहन में उपयोग किए गए वाहनों का प्रकार, श्रेणी और लोडिंग क्षमता की पुष्टि की जाएगी।
महत्वपूर्ण निर्देश:
जांच के दौरान सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन द्वारा मिलर्स को नए डिलीवरी ऑर्डर जारी नहीं किए जाएंगे।
केवल उन्हीं मिलर्स को ऑर्डर दिए जाएंगे जो जांच में सही पाए जाएंगे। किसी भी स्थिति में धान की शॉर्टेज मात्रा को बाजार से खरीदकर पूरा नहीं किया जाएगा।
अब तक की जांच में 13.37 करोड़ रुपये की शॉर्टेज राशि वसूल की जा चुकी है, जबकि शेष 14.16 करोड़ रुपये की वसूली प्रक्रिया जारी है। धान उपार्जन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अनियमितताओं की रोकथाम के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया गया है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार की प्राथमिकता किसानों को समय पर भुगतान और समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
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