राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), राउरकेला के शोधकर्ताओं ने एक मशीन लर्निंग आधारित मॉडल विकसित किया है, जो भूजल की गुणवत्ता का आकलन कर सकता है। यह तकनीक किसानों को सिंचाई के लिए पानी की गुणवत्ता जांचने में मदद करेगी, जिससे फसल की पैदावार और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखा जा सकेगा।
यह अध्ययन ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में किया गया और इसे वाटर क्वालिटी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है। जिले में कृषि ही मुख्य आर्थिक गतिविधि है, लेकिन सतही जल स्रोत केवल 1.21% क्षेत्र को कवर करते हैं। ऐसे में सिंचाई के लिए भूजल ही प्रमुख स्रोत है, जिसकी गुणवत्ता बेहद महत्वपूर्ण है।
रिसर्च में जिले के 360 कुओं से पानी के सैंपल लेकर उनकी रासायनिक विशेषताओं का विश्लेषण किया गया। मशीन लर्निंग मॉडल और सांख्यिकीय उपकरणों का उपयोग कर यह पाया गया कि दक्षिणी, दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों का पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त है। लेकिन पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों, खासकर क्रिंजिकेला, तलसारा, कुटरा और सुंदरगढ़ शहर के कुछ हिस्सों में पानी की गुणवत्ता चिंता का विषय है।
तकनीक का राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग संभव: रिपोर्ट के अनुसार, यदि पानी की गुणवत्ता को सही ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया, तो आलू और खीरे की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन से यह भी संकेत मिला है कि कुछ क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता और गिर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि NIT राउरकेला द्वारा विकसित इस तकनीक का उपयोग देशभर में भूजल गुणवत्ता जांच के लिए किया जा सकता है, जिससे किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं मिल सकेंगी।