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PACS अब दे रही है 20 से भी ज्यादा सेवाएं जैसे ऋण, बीज, खाद और कृषि उपकरण, जानिए सबकुछ खेतिव्यापार पर

PACS की 20 से अधिक सेवाएं
PACS की 20 से अधिक सेवाएं

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने भोपाल में राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। इसके साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव और अन्य मंत्री भी उपस्थित थे। 

सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद आया बदलाव:

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद से सहकारी क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है और अब यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन वर्षों तक निष्क्रिय हो चुका था, क्योंकि समयानुसार सहकारी कानूनों में बदलाव नहीं किए गए। आज़ादी के 75 वर्षों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की और उन्हें इसका पहला मंत्री बनने का सौभाग्य मिला।

सहकारिता को नया जीवन देने की दिशा में ठोस प्रयास:

उन्होंने कहा कि सहकारिता संविधान में राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार इस क्षेत्र में कोई कानूनी बदलाव नहीं कर सकती, लेकिन इसके पुनर्जीवन के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के लिए मॉडल उपविधियाँ तैयार कर राज्यों को भेजी गईं, जिन्हें अधिकांश राज्यों ने स्वीकार कर लिया है। इससे सहकारी ढांचे को नया जीवन मिला है।

अब बहुउद्देश्यीय सेवाओं का केंद्र बन रही हैं PACS:

श्री शाह ने कहा कि पहले PACS केवल अल्पकालिक कृषि ऋण तक सीमित थीं, लेकिन अब वे 20 से अधिक सेवाएं प्रदान कर रही हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। अब PACS पर जन औषधि केंद्र, पानी वितरण, कॉमन सर्विस सेंटर, रेलवे टिकट बुकिंग, बिजली-पानी बिल भुगतान, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कई PACS ने इन सेवाओं से आय भी अर्जित की है।

मल्टी पर्पज़ PACS के जरिए सहकारिता क्षेत्र में नई क्रांति: श्री शाह ने बताया कि PACS, डेयरी सहकारी समितियों और मत्स्य सहकारी समितियों को मिलाकर मल्टी पर्पज़ PACS (MPACS) बनाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने देशभर की PACS को ₹2500 करोड़ की लागत से कंप्यूटरीकृत किया है, जिसमें मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से जिला सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंक अब NABARD से जुड़ चुके हैं। इससे ऑनलाइन ऑडिट व्यवस्था से पारदर्शिता भी आई है।

किसान को उसकी भाषा में डिजिटल सेवाएं: केंद्रीय मंत्री ने कहा कि PACS को अब 13 भारतीय भाषाओं में संचालित किया जा रहा है, जिससे किसान अपनी भाषा में डिजिटल सेवाएं ले सकते हैं। मध्यप्रदेश में यह सुविधा हिंदी में, गुजरात में गुजराती, बंगाल में बांग्ला और तमिलनाडु में तमिल भाषा में उपलब्ध है।

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