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विश्व खाद्य दिवस पर अन्नदाता किसानों को आयुर्वेद आहार से स्वस्थ और सतत भविष्य की दिशा पर जोर

विश्व खाद्य दिवस 2024
विश्व खाद्य दिवस 2024

लोंगों के बेहतर जीवन के साथ उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये 16 अक्टूबर 2024 को विश्व खाद्य दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आयुष मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट के विकास लक्ष्य -2 का समर्थन किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य भुखमरी से जुड़ी समस्या का निराकरण और उनकी सुरक्षा में सुधार करना है। आयुष मंत्रालय आयुर्वेद आहार के माध्यम से एक स्वस्थ्य रोगमुक्त व विश्व को बढावा देने के प्रयासों में जुटा हुआ है।

आयुष राज्य मंत्री श्री प्रताप राव झाधव ने कहा कि इस खास विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर हमें ध्यान रखना चाहिए कि आयुर्वेद का भोजन के प्रति दृष्टिकोण केवल पोषण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर को स्वस्थ्य पोषण, मन को शांति और आत्मा को संतुष्टि देने का प्रयास करता है। यह हमें प्रकृति के साथ तालमेल से जुड़े रहने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। आयुर्वेद आहार का महत्व पहचानें जो भोजन को केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं मानता बल्कि शरीर और मन को संतुलित बनाए रखने का महत्वपूर्ण तत्व मानता है।

विश्व खाद्य दिवस 2024 पर आयुष मंत्रालय की पहल

विश्व खाद्य दिवस 2024 के इस उत्सव में, आयुष मंत्रालय आयुर्वेद आहार के सिद्धांतों के माध्यम से एक रोगमुक्त दुनिया को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहरा रहा है। यह प्राकृतिक पोषण, रोकथाम और कल्याण पर जोर देता है। आयुष आहार को अपनाकर स्वास्थ्य भोजन और दीर्घायु के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन सकते हैं। भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे सामूहिक प्रयासों के माध्यम से आयुष मंत्रालय पोषण परिणामों में सुधार और सभी के लिए एक उज्जवल और स्वस्थ भविष्य बनाने के अपने मिशन को लगातार आगे बढ़ा रहा है। 

आयुर्वेद आहार स्वस्थ जीवन की ओर कदम

उचित आहार न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सतत विकास में भी योगदान देता है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, "भोजन ही सर्वोत्तम औषधि है," इसलिए उपभोक्ताओं को स्वस्थ्य भोजन सही तरीके से करने की सलाह दी जाती है, जिससे वे बेहतर जीवन जी सकें। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 2021 में आयुर्वेद आहार विनियम अधिसूचित किए हैं, जो इस क्षेत्र में एक क्रांति ला रहा है।

खाद्य सुरक्षा और सतत विकास में भारत का अद्वितीय योगदान

भारतीय थाली ने पोषण और सततता के क्षेत्र में पौधा-आधारित आहार, जिसमें अनाज, दालें, और सब्जियां शामिल हैं। प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पशु-आधारित आहार की तुलना में कम करता है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि विश्व भारत के उपभोग पैटर्न को अपनाता है, तो 2050 तक वैश्विक खाद्य उत्पादन को बनाए रखने के लिए केवल 0.84 पृथ्वी की आवश्यकता होगी। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (NIA) जयपुर के प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव ने कहा, "आयुष मंत्रालय की आयुर्वेद आहार के प्रति नवीन दृष्टिकोण सतत विकास लक्ष्य-2 (SDG-2) के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जो भूख, खाद्य सुरक्षा, पोषण और सततता से संबंधित है।

कुपोषण मुक्त भारत की दिशा में सशक्त पहल

आयुष मंत्रालय ने "कुपोषण मुक्त भारत के लिए आयुष आहार सलाह" शुरू की है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण परिणामों को बढ़ाना है। महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ साझेदारी में, यह पहल आयुष-आधारित आहार और जीवनशैली को अपनाकर कुपोषण से मुक्त भारत की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। आयुष आहार सलाह कुपोषण से जूझ रहे लोगों के दैनिक भोजन में आयुर्वेदिक आहार को शामिल करके उनकी पोषण स्थिति में सुधार ला रही है।

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