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सदियों से किसान भाई गोबर का उपयोग खाद बनाने में करते आए हैं। कृषि विभाग के अधिकारी भी लगातार प्राकृतिक संसाधनों से जैविक खाद का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। अब किसानों ने गौ-मूत्र, गोबर और पत्तियों से खाद बनाकर अपने खेतों में उपयोग करना शुरू कर दिया है।
हम सभी को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि यह सभी के लिए फायदेमंद है। मध्यप्रदेश के कई किसान अब अपने खेतों में प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। वे गोबर, गौ-मूत्र, मिट्टी, पत्ते, वनस्पति और गुड़ से जीवामृत तैयार कर रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों से खाद बनाने की प्रक्रिया न केवल कम लागत में पूरी होती है, बल्कि इससे फसल की पैदावार भी बेहतर होती है। इसके अलावा, प्रदेश में प्राकृतिक उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इस प्रकार, किसान जैविक खाद का उपयोग कर अपनी उपज को अधिक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं।
इन सभी सामग्रियों को अच्छे से मिलाकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें और उन्हें छांव में सुखा लें। जब लड्डू पूरी तरह सूख जाएं, तो उन्हें तोड़कर खेत में फैला दें।
इन सभी सामग्रियों को मिलाकर मिश्रण तैयार करें और फिर इसे छान लें। इस घोल का छिड़काव करने से फसल में लगने वाले रोग और कीट नष्ट हो जाते हैं।
यह दोनों प्रकार की खाद और नीम आधारित घोल की मात्रा एक एकड़ जमीन के लिए उपयुक्त है। इनका उपयोग करके किसान अपनी फसल की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और प्राकृतिक तरीकों से खेती को अधिक लाभकारी बना सकते हैं।
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