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प्राचीन भारतीय पांडुलिपियों और मौखिक परंपरा में प्रलेखित सदियों पुराना पारंपरिक ज्ञान आज भी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में एक है। इसी ज्ञान को जनसामान्य तक पहुँचाने और इसकी महत्ता को पहचानने के उद्देश्य से CSIR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (CSIR-NIScPR) ने अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से राष्ट्रीय पहल स्वास्तिक का शुभारंभ किया। इसके तहत द्विवार्षिक "पारंपरिक ज्ञान संचार एवं प्रसार" (CDTK) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होता है।
पारंपरिक ज्ञान संचार एवं प्रसार (CDTK-2024) का दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन CSIR-NIScPR और गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा 13-14 नवंबर 2024 को गुरुग्राम विश्वविद्यालय, हरियाणा में किया जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य कृषि, वास्तुकला, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, शिक्षा, खाद्य, स्वास्थ्य विज्ञान, गणित, धातुकर्म जैसे विभिन्न पारंपरिक ज्ञान के क्षेत्रों में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाना है।
सम्मेलन में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं, जो पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और आधुनिक संदर्भ में उनकी संभावित उपयोगिता पर चर्चा करेंगे। उद्घाटन सत्र में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल; पुणे विश्वविद्यालय के विशिष्ट प्रोफेसर और पूर्व महानिदेशक, CSIR एवं सचिव, DSIR डॉ. शेखर सी. मांडे; गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार; और CSIR-NIScPR की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल जैसे गणमान्य व्यक्तित्व सम्मिलित होंगे।
इस सम्मेलन के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने और इसे आधुनिक संदर्भ में उपयोगी बनाने के उद्देश्य से व्याख्यान, मौखिक प्रस्तुति, पैनल चर्चा, कार्यशालाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
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