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Papaya Farming in Hindi: इन तरीकों से बढ़ जाएगी पपीते की पैदावार, कमाई का खुलेगा रास्ता

इन-तरीकों-से-बढ़-जाएगी-पपीते-की-पैदावार
इन-तरीकों-से-बढ़-जाएगी-पपीते-की-पैदावार

पपीता एक ऐसा फल है जो अपने लाभकारी पोषण के लिए जाना जाता है। पेट की समस्या से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक में पपीता इस्तेमाल होता है। ऐसे में इसकी मांग भी पूरे साल बनी रहती है। डॉक्टर भी मरीजों को पपीते के सेवन की सलाह देते हैं। इन सब चीजों के कारण पपीते की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन इसके लिए किसानों को कुछ अहम बातों का ध्यान रखना होता है। आइए जानते है कि कैसे पपीते की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

पपीते के पौधे को चाहिए होता है अधिक पोषण:

आमतौर पर पपीते के पौधों, को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। इसके लिए जरूरी है कि बगीचे की मिट्टी उपजाऊ हो। किसान बगीचे की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए रोपण से पहले हरी खाद वाली फसलें (ढेंचा, सनई, मूंग आदि) लेनी चाहिए। गोबर की खाद का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए। खेतों में भेड़-बकरियां पालने से मिट्टी की उर्वरता काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि किसान पपीते के पौधों को समय-समय पर मिट्टी परीक्षण और पौधों की मांग के आधार पर रासायनिक उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्व देते रहें। बोरोन की आवश्यकता फल लगने के समय होती है। वहीं पोटैशियम और कैल्शियम की आवश्यकता फलों के पकने के समय होती है।

ये हैं पपीते की उन्नत किस्में:

पूसा डोलसियरा किस्म: पपीते की अधिक उपज देने वाली गाइनोडियोशियस किस्म में एक ही पौधे पर नर और मादा दो प्रकार के फूल उगते हैं। पके फल का स्वाद मीठा होता है और इसमें आकर्षक सुगंध होती है। इस किस्म से प्रति पेड़ लगभग 40-45 किलोग्राम उपज प्राप्त की जा सकती है। पपीते की संकर किस्म रेड लेडी 786 पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा पपीते की एक नई किस्म विकसित की गई है, जिसका नाम रेड लेडी 786 है। यह एक संकर किस्म है। इस किस्म की खासियत यह है कि पौधे पर केवल नर और मादा फूल होते हैं, इसलिए प्रत्येक पौधे पर फल मिलने की गारंटी होती है।

पूसा मेजेस्टी किस्म: यह भी एक गाइनोडायोसियस प्रजाति है। इसकी उत्पादकता अधिक है तथा भण्डारण क्षमता भी अधिक है। इसे संपूर्ण भारत में उगाया जा सकता है। इसकी उपज की बात करें तो इसकी उपज 35-40 किलोग्राम प्रति पेड़ हो सकती है।

पपीते के साथ ये भी उगाएं

पपीते की खेती के साथ-साथ कुछ और भी फसलें इसके साथ बोई जा सकती हैं। इनमें मटर, मेथी, चना, फ्रेंचबीन और सोयाबीन आदि जैसी दलहनी फसलें इसके साथ उगाई जा सकती हैं, लेकिन ध्यान रखें कि पपीते के पौधों के बीच मिर्च, टमाटर, बैंगन, भिंडी आदि जैसी फसलें अंतःफसल के रूप में नहीं उगाई जानी चाहिए। ताकि पपीते के पौधों को इससे नुकसान न हो।

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