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PLI scheme: पीएलआई योजना भारतीय उद्योगों को नई ऊंचाईयों पर ले जा रही है, जानें इसके लाभ और प्रभाव

पीएलआई योजना
पीएलआई योजना

भारत का विनिर्माण क्षेत्र एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसमें आधुनिक नीतियां इसे वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने के लिए अहम भूमिका निभा रही हैं। इस परिवर्तन का केंद्र बिंदु है प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, जो सरकार की दूरदर्शी सोच का हिस्सा है। यह योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने नवाचार को बढ़ावा देने, दक्षता में सुधार लाने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए बनाई गई है।

पीएलआई योजना की सफलता की कहानी Success story of PLI scheme:

पीएलआई योजना के तहत 14 क्षेत्रों में 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। इसके परिणामस्वरूप 12.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन/बिक्री, 9.5 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन और 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों ने इसमें अहम योगदान दिया है। 

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम:

2020 में शुरू हुई पीएलआई योजना केवल एक नीति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की ओर एक रणनीतिक कदम है। यह योजना मेक इन इंडिया पहल के साथ जुड़ी हुई है, जिसका उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करना, आयात पर निर्भरता कम करना और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना है। 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना का कुल बजट 1.97 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। 

अनुमोदन की विविधता और प्रगति:

पीएलआई योजना के तहत अब तक 764 आवेदन स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें खाद्य उत्पाद क्षेत्र ने सबसे अधिक 182 अनुमोदन प्राप्त किए हैं। इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक (95), वस्त्र उत्पाद (74), विशेष इस्पात (67) और सफेद वस्तुएं (66) शामिल हैं। उभरते क्षेत्रों में ड्रोन और ड्रोन घटकों को 23, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल को 14 और एसीसी बैटरी को 4 अनुमोदन मिले हैं।

भविष्य के लिए तैयार: पीएलआई योजना न केवल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि एमएसएमई क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला के सहायक इकाइयों के विकास को भी प्रोत्साहित कर रही है। यह योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में नेतृत्व के लिए तैयार कर रही है। किसी भी देश की प्रगति उसकी औद्योगिक ताकत पर निर्भर करती है, और पीएलआई योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण का नेतृत्व देने में सहायक साबित हो रही है।

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