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Potato price: उत्तर प्रदेश में आलू किसानों की बढ़ेगी आय, मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाजार का लाभ, जानिए कैसे

अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूपी का आलू
अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूपी का आलू

उत्तर प्रदेश देश में आलू उत्पादन में नंबर एक राज्य है। हालाँकि, प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में पश्चिम बंगाल अग्रणी है। पश्चिम बंगाल में प्रति हेक्टेयर उत्पादन 29.9 मीट्रिक टन है, जबकि उत्तर प्रदेश का उत्पादन 25.48 मीट्रिक टन है। इस गैप को पाटने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार कई बड़े कदम उठा रही है।

आलू किसानों की आय बढ़ाने की योजना Plan to increase income of potato farmers:

केंद्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत सब्जियों और फलों को समुद्री मार्ग से निर्यात करने की योजना बनाई है, जिसमें आलू भी शामिल है। उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य होने के नाते, इस योजना से सबसे अधिक लाभान्वित होगा। कन्नौज, फर्रुखाबाद जैसे जिलों में आलू की दोहरी फसल ली जाती है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। समुद्री मार्ग से निर्यात के कारण आलू की कीमतों में तेजी और मंदी की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा। यह कदम आलू की बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने का अवसर प्रदान करेगा।

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किसानों के लिए यूपी सरकार का विशेष ध्यान उत्तर प्रदेश सरकार आलू किसानों की समस्याओं के प्रति बेहद संवेदनशील रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू की गई हैं।

  1. बाजार हस्तक्षेप योजना: योगी सरकार के पहले कार्यकाल में आलू किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए यह योजना लागू की गई थी।
  2. बेहतर गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराना: सीजन के अनुसार हर जिले में उचित मूल्य पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज मुहैया कराया जाता है।
  3. भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाएं: पारदर्शी प्रक्रिया के तहत कोल्ड स्टोरेज निर्माण के लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। इसके अलावा मेगा फूड पार्क और क्लस्टर स्थापित करने के प्रयास भी जारी हैं।

आगरा में 120 करोड़ की लागत से बन रहा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP):

केंद्र सरकार की मदद से आगरा में पेरू (लीमा) स्थित अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) का निर्माण किया जा रहा है। करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर बनने वाले इस केंद्र की लागत 120 करोड़ रुपये होगी।
यह केंद्र उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे आलू उत्पादक राज्यों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई देशों के लिए भी फायदेमंद होगा। यहां आलू की अधिक उत्पादकता और प्रसंस्करण योग्य किस्में विकसित की जाएंगी।

इन केंद्रों से किसानों को होंगे ये लाभ:

  1. बेहतर गुणवत्ता वाले बीज: किसानों को उच्च गुणवत्ता के आलू बीज आसानी से उपलब्ध होंगे।
  2. उत्पादकता और आय में वृद्धि: अधिक उत्पादकता और बेहतर गुणवत्ता के आलू किसानों की आय में वृद्धि करेंगे।
  3. आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण: आलू की खेती के आधुनिक तरीकों का प्रशिक्षण देकर किसानों की दक्षता बढ़ाई जाएगी।

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