प्रधानमंत्री मोदी की नई किस्म के बारे में जानें
By khetivyapar
पोस्टेड: 17 Aug, 2024 12:00 AM IST Updated Wed, 21 Aug 2024 12:00 PM IST
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में 109 उच्च उत्पादकता, जलवायु-प्रतिरोधी और बायोफोर्टिफाइड फसलों की किस्मों का अनावरण किया। ये किस्में देश में कृषि और बागवानी क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन 109 किस्मों में 61 विभिन्न फसलों की किस्में शामिल हैं, जिनमें 34 फसलें क्षेत्रीय (फील्ड क्रॉप्स) और 27 बागवानी (हॉर्टिकल्चर) से संबंधित हैं।
गेहूँ की ये किस्में किसानों की आय में करेगी वृद्धि:
प्रधानमंत्री द्वारा जारी की गई गेहूं की 3 नई किस्में भारतीय कृषि के भविष्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। ये किस्में जलवायु प्रतिरोधी, उच्च उत्पादकता वाली और पोषण संवर्धित हैं। न केवल फसल उत्पादन को बढ़ावा देंगी, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करेंगी और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगी।
गेहूं की नई किस्में और इनकी खासियत:
- पूसा गेहूँ शरबती (HI 1665) - गेहूँ की यह किस्म आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर, मध्यप्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के मैदानी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है। ये किस्में समय पर बोई गई फसल के लिए उपयुक्त होती है और सीमित सिंचाई की स्थिति में अच्छी पैदावार 33.0 क्विंटल/हेक्टेयर है। यह 110 दिन में तैयार हो जाती है तथा गर्मी और सूखा सहनशील कर सकती है। यह उत्कृष्ट अनाज गुणवत्ता, उच्च जिंक (40.0 पीपीएम) से युक्त, पत्ते और तने की rust के प्रति प्रतिरोधी होती है।
- पूसा गेहूँ गौरव (HI-8840) - गेहूँ की यह किस्म ओपन पोलिनेटेड वैरायटी है, जिसे आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर, मध्यप्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के मैदानी क्षेत्र के लिये उपयुक्त है। ये किस्में सिंचाई की स्थितियों के लिए उपयुक्त, औसत अनाज पैदावार (30.2 क्विंटल/हेक्टेयर), गर्मी सहनशील, तने और पत्तों की rust के प्रति प्रतिरोधी होती है।
- डीडब्ल्यूआरबी-219 - गेहूँ की यह किस्म ओपन पोलिनेटेड वैरायटी है, जिसे आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल, हरियाणा द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और काठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश के पांवटा घाटी और उना जिला, और उत्तराखंड का तराई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म सीमित सिंचाई की स्थिति के लिए उपयुक्त है। इसकी औसत पैदावार 54.49 क्विंटल/हेक्टेयर और यह 132 दिनों में तैयार हो जाती है। पत्ते के rust के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है।