लीफ़ हॉपर (मधुआ कीट) आम के पौधों का रस चूसकर नुकसान पहुँचाते हैं और वायरस फैलाते हैं। इनसे बचाव के लिए जैविक नियंत्रण अपनाना सबसे सुरक्षित और प्रभावी उपाय है। लहसुन व नीम तेल का छिड़काव करें, मिश्रित फसलें उगाकर पौधे को संरक्षित कर सकते हैं। ये विधियाँ पर्यावरण के अनुकूल हैं और लाभकारी कीटों को सुरक्षित रखती हैं।
निम्फ और वयस्क लीफ़ हॉपर आम के पौधों की पत्तियों, फूलों, कोमल टहनियों और छोटे फलों का रस चूसते हैं। ये हनीड्यू (शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ) छोड़ते हैं, जिससे सूटी मोल्ड (कालिख) बनती है। इससे प्रकाश संश्लेषण बाधित होता है और पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है। इसके अलावा लीफ़ हॉपर वायरस वाहक भी हो सकते हैं, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को नुकसान पहुँचाते हैं।
रासायनिक कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण और जैव विविधता के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए जैविक और प्राकृतिक उपायों को अपनाना अधिक फायदेमंद है।
लीफ़ हॉपर का पहचान: ये लीफ़ हॉपर पत्तियों के नीचे नरम ऊतकों में रखे जाते हैं और 10 दिनों में फूटते हैं। छोटे, पीले-हरे, पंखविहीन होते हैं और पत्तियों की निचली सतह पर सक्रिय रहते हैं। छोटे, पच्चर के आकार के भूरे रंग के होते हैं, जो उड़ने और तेज़ी से कूदने में सक्षम होते हैं।
लहसुन अर्क (तेल) का छिड़काव करें: लहसुन में कीटनाशक गुण होते हैं, जो अन्य चूसक कीटों के लिए भी प्रभावी होते हैं। इसे बनाने के लिये 100 ग्राम लहसुन को बारीक काटें, ½ लीटर खनिज तेल में 24 घंटे भिगोकर रखें। फिर इसमें 10 मिलीलीटर तरल साबुन मिलाएँ। 10 लीटर पानी में घोलकर छान लें और छिड़काव से पहले घोल को हिलाएँ। यह प्रक्रिया लाभकारी कीटों को नुकसान नहीं पहुँचाता।
नीम तेल का छिड़काव करें: नीम तेल में कीटनाशी गुण होते हैं, जो लीफ़ हॉपर, पिस्सू भृंग और गाल मिज़ जैसे कीटों के लिए प्रभावी हैं। इसे बनाने के लिये 1 लीटर गुनगुने पानी में 30 मिलीलीटर नीम तेल मिलाएँ, 5 मिलीलीटर तरल साबुन मिलाकर घोल तैयार करके छिड़काव से पहले घोल को हिलाकर छिडकाव करें। यह कीटों को पौधों से दूर रखता है साथ ही जैविक खेती के लिए उपयुक्त है।
मिश्रित फसल प्रणाली अपनाएँ: मैरीगोल्ड, तुलसी और अदरक लगाने से लीफ़ हॉपर की समस्या कम होती है। विभिन्न प्रकार की फसलें मिलाकर खेती करने से कीटों का प्रकोप कम होता है।