कीटों से बचाएं अपनी दलहनी और तिलहनी फसलों को
By khetivyapar
पोस्टेड: 28 Jan, 2025 12:00 AM IST Updated Wed, 29 Jan 2025 08:56 AM IST
वर्तमान में दलहनी, तिलहनी और सब्जी फसलों में रस चूसक कीट, माहू, मच्छर, लीफ माइनर और छोटी-बड़ी इल्लियों का प्रकोप देखा जा रहा है। इनकी रोकथाम के लिए जैविक उपाय अपनाना जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:
1. नीम की हरी पत्तियों से कीटों का नियंत्रण:
रस चूसक कीट, लीफ माइनर और छोटी इल्लियों के नियंत्रण के लिये 5 किग्रा नीम की हरी पत्तियां या सूखी निंबोली, 5 लीटर गौमूत्र और 1 किग्रा देशी गाय का गोबर मिलायें।
छिड़काव करने की विधि:
- नीम की पत्तियों को पीसकर 100 लीटर पानी में मिलाएं।
- इसमें गौमूत्र और गोबर डालें और लकड़ी से घोलें।
- इस मिश्रण को 48 घंटे तक ढककर रखें। दिन में 2-3 बार इसे चलाएं।
- 48 घंटे बाद छानकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
2. बड़ी इल्लियों और सुंडियों के रोकथाम के उपाय:
10 लीटर गौमूत्र, 3 किग्रा नीम की पत्तियां, 2 किग्रा करंज, सीताफल और सफेद धतूरे की पत्तियां शामिल करें।
छिड़काव करने की विधि:
- सभी पत्तियों को पीसकर गौमूत्र में डालें।
- इस मिश्रण को उबालें और 3-4 उबाल आने के बाद ठंडा करें।
- इसे 48 घंटे तक रखें और फिर छान लें।
- 2-2.5 लीटर इस घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
3. तनों और डंठलों में रहने वाले कीटों व इल्लियों पर नियंत्रण हेतु:
10 लीटर गौमूत्र, 500 ग्राम हरी मिर्च और लहसुन, 5 किग्रा नीम की पत्तियां आदि।
छिड़काव करने की विधि:
- सभी सामग्री को पीसकर गौमूत्र में डालें और उबालें।
- 4-5 उबाल आने के बाद मिश्रण को 48 घंटे तक ठंडा होने दें।
- छानकर 2-2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
4. फसलों को मजबूत और कीट प्रतिरोधी बनाने हेतु:
गाय का गोबर, घी, गुड़, दूध और दही
छिड़काव करने की विधि:
- गोबर, घी और गुड़ को घोलकर अन्य सामग्री मिलाएं।
- इसे 7-10 दिन तक किण्वित करें।
- 3 लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
5. बड़ी इल्लियों और सुंडियों के नियंत्रण हेतु:
गोबर और गौमूत्र, हल्दी, अदरक, सोंठ, तंबाकू और तीखी मिर्च का पाउडर
छिड़काव करने की विधि:
- सभी सामग्री को मिलाकर 24 घंटे छाया में रखें।
- मिश्रण को बोरी से ढककर 30-40 दिन तक किण्वित करें।
- 6-8 लीटर अर्क को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
सावधानी: जैविक घोल को हमेशा ताजा तैयार करें और छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें। अन्य कीटनाशकों के साथ इनका प्रयोग न करें।