इस बार बदलते मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जनवरी और फरवरी में तापमान में असामान्य उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जिससे गेहूं की फसल पर नकारात्मक असर देखने के लिये मिल रहा है। कई जगहों पर पौधे बौने रह गए हैं और दाने हल्के होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में अगर मार्च की शुरुआत तक मौसम में सुधार नहीं हुआ, तो उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
इस बार दिन में तेज धूप और रात में अपेक्षाकृत कम ठंड रहने के कारण गेहूं की ग्रोथ बाधित हुई है। गेहूं के पौधों को सही विकास के लिए रात में ओस और दिन में हल्की धूप की जरूरत होती है, लेकिन इस बार तापमान का संतुलन बिगड़ गया। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की अच्छी बढ़वार के लिए दिन का तापमान 24-25 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम रहना चाहिए। लेकिन इस साल कई बार दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और रात में 13 डिग्री तक बना रहा, जिससे फसल की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
असामान्य गर्मी के कारण गेहूं के पौधों की लंबाई ठीक से नहीं बढ़ पाई, जिससे वे बौने रह गए। यदि तापमान लगातार अधिक बना रहता है, तो दाने बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और वे छोटे व हल्के रह जाते हैं। दूसरी ओर, अगर रात का तापमान बहुत कम हो जाता है, तो फसल में फंगस और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
गेहूं की फसल की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय: