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उत्तरप्रदेश दलहन उत्पादक का सबसे बड़ा उपभोक्ता राज्य है। बुंदेलखंड के विभिन्न जिले- बांदा, महोबा, जालौन, चित्रकूट और ललितपुर में दलहन ग्राम स्थापित किये जायेंगे। इन सात सालों के बीच 2024 में लगभग 36 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इस बीच दलहन उत्पादन 23.94 लाख मीट्रिक टन से करीब 32 लाख मीट्रिक टन हो गया। दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिये केंद्र व राज्य सरकार की मदद से हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
यूपी सरकार दलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये उर्द, मूंग एवं अरहर की कार्य परियोजना तैयार की गई है। दलहन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत 27200 हेक्टेयर फसलों का प्रदर्शन किया जायेगा और इस के अंतर्गत 31553 कुंटल बीजों का वितरण एवं बीजों की उपज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बीज व्यवस्था को सुचारू रूप चलाने के लिये 14 सीड हब तैयार किये गये हैं। इस द्वारा लगभग 21,000 क्विंटल बीज का उत्पादन किया जायेगा। किसानो के बीच अरहर की उन्नतषील प्रजातियों के मिनीकिट्स वितरित किये जायेंगे। ठीक इसी प्रकार मूंग व उर्द के भी मिनिकिट वितरित किये जायेंगे।
दलहन उत्पादन में बंदेलखंड के जिले महोबा, जालौन, बांदा, चित्रकूट और ललितपुर में दलहन ग्राम स्थापित किये जाऐंगे। उत्तरप्रदेश दलहन का सबसे बड़ा उत्पादन और उपभोक्ता राज्य है। एक रणनीति के मुताबिक दलहन फसलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 14 से बढ़ाकर 16 क्विंटन करने का लक्ष्य है। सरकार इसके लिये दलहन की परंपरागत फसलों की की उन्नतशील व अधिक उत्पादन वाली प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा खेतों में सिंचाई की नई तकनीकि स्प्रिंकलर सिंचाई का भी प्रयोग करेगी। सरकार का मुख्य फोकस है कि दलहन फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी करना है।
दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल का उत्पादक और उपभोक्ता है। ऐसे में पूरे दुनिया के दाल उत्पादक देशों की नजर न केवल भारत और उत्तर प्रदेश के पैदावार बल्कि भंडारण पर भी रहती है। यदि उपज कम है तो अधिक मांग के अनुसार अतंरराष्ट्रीय बाजार में दाल की मां यूं ही तेज हो जाती है। इसका भी बहुत असर पड़ता है। इस तरह दाल के आयात में देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी खर्च करना होता है। अगर उत्तर प्रदेश दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाय तो विदेशी मुद्रा भी बचेगी।
दलहन उत्पादन पहल के लाभ: दलहन फललों की उन्नत तकनीकों और गुणवत्तापूर्ण बीजों से अधिक पैदावार होगी। दलहन उत्पादन बढ़ने से राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। बेहतर उत्पादकता और लाभप्रदता से किसानों को लाभ होगा। उन्नत सिंचाई तकनीकों को अपनाने से टिकाऊ कृषि पद्धतियाँ सुनिश्चित होंगी।