By khetivyapar
पोस्टेड: 24 Feb, 2025 12:00 AM IST Updated Mon, 24 Feb 2025 08:50 AM IST
पर्पल ब्लॉच रोग (Alternaria porri) प्याज की फसल के लिए एक गंभीर समस्या है, जो पत्तियों और तनों को प्रभावित कर उत्पादन में भारी नुकसान पहुंचा सकता है। यदि समय रहते इस रोग की पहचान और नियंत्रण नहीं किया जाए, तो फसल की गुणवत्ता और उपज पर बुरा असर पड़ सकता है।
पर्पल ब्लॉच रोग के लक्षण Symptoms of Purple Blotch Disease:
शुरुआत में छोटे, पानी भरे हल्के पीले धब्बे नजर आते हैं, जो धीरे-धीरे भूरे या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इन धब्बों के चारों ओर पीले रंग का घेरा बन जाता है। गंभीर संक्रमण होने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और तने भी प्रभावित हो सकते हैं। पत्तियों के समय से पहले सूख जाने के कारण बल्ब का विकास बाधित होता है, जिससे उत्पादन में गिरावट आती है।
कैसे फैलता है पर्पल ब्लॉच रोग How does purple blotch disease spread?
खेत में मौजूद पुराने संक्रमित पौधे इस रोग को फैलाने में सहायक होते हैं। हवा के जरिए रोगजनक तेजी से फैलता है, जबकि अधिक नमी (80-90%) और 18-25°C तापमान इसके प्रसार को बढ़ाते हैं और खेत में जलभराव होने से भी यह रोग तेजी से फैलता है।
पर्पल ब्लॉच रोग का प्रबंधन Management of Purple Blotch Disease:
- कृषि वैज्ञानिक प्रबंधन: प्याज को अन्य फसलों के साथ चक्रीय रूप से उगाएं। पुराने संक्रमित पौधों के अवशेष हटाएं। नाइट्रोजन की अधिकता से बचें, क्योंकि यह रोग को बढ़ावा दे सकता है। खेत में पानी का ठहराव न होने दें।
- जैविक प्रबंधन: ट्राइकोडर्मा spp. यह जैव-एजेंट रोगजनक फफूंद को नियंत्रित करने में सहायक है। नीम का तेल (5%) जैविक रूप से रोग नियंत्रण के लिए छिड़काव करें। काउ डंग स्लरी– जैविक खाद के उपयोग से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- रासायनिक प्रबंधन: मैन्कोजेब (75 डब्लूपी) 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। प्रोपिकोनाज़ोल (25 ईसी) 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर दो बार करें।
- सिंचाई प्रबंधन: सुबह के समय ड्रिप सिंचाई करें। स्प्रिंकलर सिंचाई से बचें, क्योंकि यह पत्तियों पर नमी बढ़ाकर रोग को बढ़ावा देती है।
रोग रोकथाम के सुझाव:
- खेत की निगरानी करें – यदि शुरुआती लक्षण दिखें तो तुरंत उचित उपाय करें।
- बीज उपचार – बुवाई से पहले बीज को थायरम या कैप्टन 2 से 3 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें।
- समय पर फफूंदनाशकों का छिड़काव करें – 30-35 दिन की फसल पर कवकनाशकों का उपयोग करें।
- खरपतवार नियंत्रण – खेत को साफ-सुथरा रखें और रोग फैलाने वाले कारकों को हटाएं।