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वर्तमान में हमारे देश में गन्ने की पहचान एक औद्द्योगिक नगदी फसल के रूप में हैं। गन्ना हमारे देश के गुड़ और शक्कर उत्पादन का आधार है। यद्द्यपि गन्ना के उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है। अधिकतर किसान गन्ने में लगने वाली बीमारियों को पहचानने में असफल होते हैं। जिसके कारण फसल की उपज में भारी कमी देखने को मिलती है।
गन्ने की फसल में उकठा रोग अधिक नुकसान पहुंचाता है जिसके कारण गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लग जाती हैं। जिसके बाद ये पत्तियां सूखकर गिर जाती है। किसानों के लिए गन्ने की फसल में पत्तियों का पीला होना और सुखना बड़ी चिंता का कारण बन जाता है। इससे फसल के उपज में कमी हो सकती है। इसलिए फसल को हानि पहुंचाने वाले प्रमुख उकठा रोगों की पहचान और उनकी रोकथाम के उपायों के बारें में बताया गया है। वैज्ञानिकों ने किसानों को इस रोग के कारण और उससे बचाव के बारे में बताया।
गन्ने की फसलों में उकठा रोग का कारण गन्ने की पत्तियों का पीला (Sugarcane leaves turning yellow ) पड़ना है। जिसे विल्ट रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, जिसके बाद ये पत्तियां सूखकर गिर जाती है। इसके अलावा गन्ने की फसल को कम आद्रता, कम बारिश, मृदा में नमी, उच्च तापमान से भी प्रभावित होती है।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार खेत की मिट्टी का परीक्षण करके भी गन्ने के पीलेपन और सूखेपन के रोग के बारे में पहले से पता लगाया जा सकता है। पहले से इस रोग की बारे में जानकारी हासिल होने के बाद सही उपचार करके फसल को बचाया जा सकता है।