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देश में दीवाली अब नजदीक ही है और इस दौरान धान की कटाई भी की जा रही है। किसान कटाई के बाद खेत को जल्द खाली करने के लिये पराली में आग लगा देते हैं। पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान दिल्ली व उत्तरप्रदेश में 15 सितंबर से 24 अक्टूबर के 40 दिन में पराली जलाने की कुल 4,369 घटनाएं हुई हैं।
पिछले पांच साल मे पराली जलाने की घटनाओं पर 77 प्रतिशत की कमी आई है। पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी करने वाली संस्था क्रिम्स के अनुसार 2020 में 40 दिनों में करीब 18,775 जगह पराली जलाई गई।
हरियाणा की नई नायब सैनी सरकार ने आदेश दिया कि पराली जलाने पर सख्त कदम उठाए जायेंगे।। खेतों पर सैटेलाइट से नजर भी रखी जायेगी। साथ ही किसान अगले दो सीजन मंडियों में फसल नहीं बेच सकेंगे, और कृषि रिकार्ड में रेड एंट्री भी की जायेगी।
पिछले 5 सालों के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर कमी आई हैं। सितंबर से अक्टूबर माह के बीच 2020 में करीब 16,220 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट किए गए थे। वहीं हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं पर कमी आई है। जहां इस वर्ष 689 मामले रिपोर्ट किये गये हैं, जबकि मध्यप्रदेश में पिछले साल की तुलना में कम पराली जलाई गई।
दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष यहां करीब 11 मामले रिपोर्ट किए गए हैं, पिछले पांच सालों में सबसे अधिक है। दिल्ली में पराली जलाने की घटना प्रदूषण स्तर को बढ़ाने पर जिम्मेदार होते हैं। पराली से निकलने वाला धुंआ दिल्ली के प्रदूषण में करीब 15-20 प्रतिशत जिम्मेदार होता है। वहीं उत्तरप्रदेश में इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर के बीच करीब 850 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए, जो 2020 के मुताबिक अधिक है।
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आयोग ने वायु प्रदूषण प्रबंधन के मामले पर इस साल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी और राजस्थान के सचिवों को पराली जलाने की रोकथाम और उसके नियंत्रण के लिये संशेधित कार्य योजना की समीक्षा के लिये निर्देष दिए हैं। पंजाब, हरियाणा, यूपी की राज्य सरकारों को इस वर्ष धान की पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चत करने के लिये कहा है।