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इस साल अधिकांश राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। करनाल जिले में इस सीजन 100 से भी कम पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। हरियाणा में करनाल जिले के करीब 13,306 किसानों ने पराली प्रबंधन के तहत प्रोत्साहन राशि के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। हरियाणा में जहां अन्य जिलों में पराली जलाने के मामले अब भी सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये की अनुदान राशि प्रदान करती है।
एक्स-सीटू प्रबंधन Ex-situ Management: जिले में सबसे अधिक किसानों ने एक्स-सीटू प्रबंधन के तहत पंजीकरण कराया है। करीब 8842 किसानों ने 98,087 एकड़ भूमि पर पराली प्रबंधन के लिए आवेदन दिया है। इस विधि में बेलर मशीनों की मदद से धान की पराली को बंडलों में बदल दिया है। इन बंडलों का उपयोग उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाता है। इस प्रक्रिया में कटर, रेक, और बेलर जैसी आधुनिक मशीनों का उपयोग होता है।
दूसरे स्थान पर 2जी इथेनॉल संयंत्र को पराली की आपूर्ति के लिए पंजीकरण किया गया है। इसमें 2,154 किसानों ने 21,703 एकड़ भूमि के लिए आवेदन किया है। इन-सीटू प्रबंधन प्रणाली में पराली को मशीनों की मदद से मिट्टी में मिलाया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और अगली फसल के लिए खाद की आवश्यकता कम हो जाती है।
पराली जलाने की घटनाओं में 25% की कमी और पंजीकरण प्रक्रिया: पराली प्रबंधन के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 नवंबर है। इसके बाद संबंधित विभाग किसानों के दावों का सत्यापन शुरू करेगा। कृषि उप निदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन प्रणाली अपनाने वाले किसानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसानों की रुचि के कारण जिले में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। पिछले साल 21 नवंबर तक जिले में 122 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल अब तक केवल 93 मामले सामने आए हैं, जो लगभग 25% की कमी को दर्शाता है।
किसानों को मशीनरी खरीद पर 65% वित्तीय सहायता: विभिन्न एजेंसियां और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत 3 अटारी और 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के जरिये पराली प्रबंधन के संबंध में बडे पैमाने के साथ जागरूकता पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित करती है। सरकार 1.50 करोड़ रुपये तक की लागत वाली मशीनरी की पूंजीगत लागत पर 65 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान करती है जिसका मुख्य उद्देश्य बायोमास बिजली उत्पादन और जैव ईंधन क्षेत्रों में उद्योगों के लिए धान की पराली की एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जायेगी।
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