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मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा 19 अक्टूबर 2024 को बिहार के पटना स्थित ज्ञान भवन में मत्स्य पालन और जलकृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग और प्रदर्शन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और अन्य मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की मंत्री श्रीमती रेनू देवी, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी और अन्य गणमान्य अतिथियों की भी उपस्थिति रहेगी। यह कार्यशाला वैज्ञानिकों, राज्य मत्स्य अधिकारियों, मछुआरों और मछुआरिनों को एक मंच पर लाकर मत्स्य पालन और जलकृषि में ड्रोन तकनीक के नवाचारों का प्रदर्शन करेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह और अन्य प्रमुख गणमान्य अतिथि उद्घाटन सत्र के दौरान उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) और राज्य की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को चेक वितरित किए जाएंगे, साथ ही किसानों को मछली चारा और मछली बीज का वितरण भी किया जाएगा। इस आयोजन में आईसीएआर व सीआईएफआरआई के निदेशक और विभिन्न नवाचारी स्टार्टअप्स अपने अनुभव, निष्कर्षों और ड्रोन तकनीक के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर चर्चा करेंगे।
इस पहल का उद्देश्य नदी में मछली की संख्या को बढ़ाना और सतत मत्स्य प्रबंधन के लिए पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देना है। यह कार्यशाला मत्स्य पालन क्षेत्र में ड्रोन तकनीक की क्रांतिकारी भूमिका प्रदान करने के साथ एक अनूठा मंच प्रदान करेगी। तकनीक के विकास के साथ, मत्स्य पालन विभाग इस क्षेत्र में नवाचार और उत्पादकता को तकनीकी के माध्यम से बढ़ावा दिया जायेगा।
ड्रोन तकनीकि मछली उत्पादों को दूरस्थ के क्षेत्रों में तेजी से पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस दिशा में मत्स्य पालन विभाग ने ICAR-CIFRI को लाइव फिश ट्रांसपोर्ट के लिए ड्रोन तकनीक विकसित करने हेतु 1.16 करोड़ रुपये का एक पायलट प्रोजेक्ट आवंटित किया है। मत्स्य पालन और जलकृषि क्षेत्र, जिसे अक्सर 'उदयीमान क्षेत्र' कहा जाता है, ने लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मछली किसानों को आजीविका और रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।
2015 से ब्लू रिवोल्यूशन योजना, मत्स्य और जलकृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) जैसी पहलों के माध्यम से मत्स्य क्षेत्र में करीब 38,572 करोड़ रुपये निवेश किया गया है। इन पहलों ने मछली किसानों, हाशिए पर रहने वाले समुदायों और आदिवासी समूहों के कल्याण में सुधार करते हुए इस क्षेत्र को काफी हद तक उन्नत किया है। मत्स्य पालन विभाग, इस तकनीक की संभावनाओं को पहचानते हुए, इस क्षेत्र में निगरानी, संसाधन प्रबंधन, मछली परिवहन और अन्य अनुप्रयोगों के लिए ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
ड्रोन तकनीक विकास के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नवाचारी अनुप्रयोगों के लिए जानी जाती है, जैसे कि कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा राहत। निगरानी, स्टॉक आकलन, पर्यावरण निगरानी, बीमारी का पता लगाना, जलीय कृषि में चारा वितरण और पानी के नमूने लेने जैसे प्रमुख कार्यों में ड्रोन तकनीक संभावनाओं से भरी है। समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए, जल गुणवत्ता की निगरानी और हानिकारक शैवालों का पता लगाने में ड्रोन सहायक सिद्ध हो सकते हैं। आपातकालीन स्थितियों में, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मत्स्य अवसंरचना को हुए नुकसान का आकलन करने और खोज और बचाव अभियानों में भी यह तकनीक अत्यधिक उपयोगी है।