केरल के कासरगोड में आईसीएआर-सीपीसीआरआई द्वारा वृक्षारोपण क्षेत्र के दोहन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आईसीएआर के महानिदेशक और डेयर (कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग) के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) विशेष कदम उठा रही है।
डॉ. पाठक ने कहा कि भविष्य में ICAR द्वारा जारी की जाने वाली सभी फसल किस्मों और बीजों में कम से कम एक जलवायु-सहनशील विशेषता होगी। इससे तापमान वृद्धि, सूखा, बाढ़ और नए कीटों एवं रोगों जैसी समस्याओं से निपटने में किसानों को मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि आईसीएआर और अन्य शीर्ष संस्थानों ने ऐसी फसल किस्में विकसित की हैं जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर सकें।
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में विकसित जलवायु-सहनशील फसल किस्मों का जिक्र करते हुए कहा कि अब गेहूं के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में ऐसी किस्मों की खेती हो रही है, जो उच्च तापमान के बावजूद उत्पादन में कमी नहीं आने देती। चावल की बात करें तो आईसीएआर ने ऐसी किस्में जारी की हैं जिनमें प्रोटीन का स्तर 10 प्रतिशत से अधिक है, जबकि सामान्य किस्मों में यह 6-7 प्रतिशत तक होता है।
ICAR द्वारा पिछले तीन वर्षों में 171 जैव-सशक्त फसल किस्में जारी की गई हैं। इन किस्मों में बेहतर पोषण, उच्च उत्पादकता और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता है। इसके अलावा, कुल खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन में भी जलवायु परिवर्तन के बावजूद कमी नहीं आई है।
प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग आवश्यक: डॉ. पाठक ने कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग, प्रकृति-अनुकूल खेती, और संसाधनों का कुशल प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि खेती के तौर-तरीकों में बदलाव लाकर 50 प्रतिशत आबादी को कृषि में योगदान देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
भारतीय कृषि को बनाएगी स्थायी और समृद्ध: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए आईसीएआर के कदम भारतीय कृषि को अधिक स्थायी, प्रगतिशील और सक्षम बना रहे हैं। जलवायु-सहनशील बीजों और उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग से किसानों को बेहतर उत्पादन और आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस पहल से भारत का कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से न केवल सुरक्षित रहेगा, बल्कि भविष्य में और अधिक समृद्ध भी होगा।
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