शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करने का सही तरीका
By khetivyapar
पोस्टेड: 13 Feb, 2025 12:00 AM IST Updated Thu, 13 Feb 2025 09:29 AM IST
शिमला मिर्च (Bell Pepper) की खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए नर्सरी तैयार करना एक महत्वपूर्ण चरण है। सही तकनीक अपनाकर आप स्वस्थ पौधों की वृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं।
शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करने का सही तरीका:
- स्थान का चयन: नर्सरी के लिए ऐसी जगह चुनें, जहां दिन में कम से कम 6-8 घंटे धूप मिले और जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो।
- मिट्टी की तैयारी: हल्की दोमट मिट्टी, जिसमें जैविक खाद या कम्पोस्ट मिला हो, सर्वोत्तम होती है। मिट्टी को भुरभुरा बनाकर उसमें नमी बनाए रखें।
- उत्तम बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का चयन करें। हाइब्रिड या उन्नत किस्मों के बीज अधिक उत्पादन देते हैं।
4. बीज की बुआई:
- बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगोकर अंकुरण की क्षमता बढ़ाएं।
- नर्सरी ट्रे या क्यारी में 1-2 इंच गहराई पर बीज बोएं और 2-3 इंच की दूरी बनाए रखें।
5. सिंचाई एवं देखभाल:
- हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे, लेकिन जलभराव न हो।
- जरूरत पड़ने पर ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें।
6. पौधों का विकास: जब पौधे 4-6 इंच ऊंचे हो जाएं और उनमें 2-3 पत्तियां आ जाएं, तो वे खेत में रोपाई के लिए तैयार माने जाते हैं।
7. खेत में रोपाई: पौधों को उचित दूरी पर खेत में रोपित करें और शुरुआत में हल्की सिंचाई करें।
शिमला मिर्च की खेती के लिये महत्वपूर्ण बिन्दू:
- उपयुक्त जलवायु और मिट्टी: शिमला मिर्च की खेती के लिए 18-30°C तापमान आदर्श होता है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- बीज की बुआई और रोपाई: बीज बोने का सही समय जून-जुलाई, सितंबर-अक्टूबर और दिसंबर-जनवरी होता है। पौधों की रोपाई 45-60 दिनों में की जाती है।
- सिंचाई प्रबंधन: गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन और सर्दियों में 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
- खाद एवं उर्वरक: जैविक खाद के साथ संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग करें।
- कीट एवं रोग नियंत्रण: समय-समय पर जैविक या स्वीकृत रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
शिमला मिर्च की उन्नत किस्में:
- अर्का गौरव – उच्च उत्पादन और बेहतरीन गुणवत्ता वाली किस्म।
- अर्का मोहिनी – बड़े आकार के मोटे फल, सब्जी उत्पादन के लिए उपयुक्त।
- कैलिफोर्निया वांडर – ठंडी जलवायु में भी बेहतर उपज देने वाली किस्म।
- ऐश्वर्या – छोटे लेकिन अधिक उपज देने वाले पौधे।
- अलंकार – बाजार में अधिक मांग वाली गोल और मोटी मिर्च।
- हरी रानी – हरे रंग के फल और उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्म।
- पूसा दिप्ती – भारतीय जलवायु के लिए अनुकूलित और अच्छी उपज देने वाली किस्म।
- ग्रीन गोल्ड – उत्तर भारत की जलवायु के लिए अनुकूलित किस्म।
कटाई और उत्पादन:
- शिमला मिर्च को पूरी तरह पकने से पहले काटा जाता है।
- कटाई के लिए तेज धार वाले चाकू या कैची का उपयोग करें।
- उचित देखभाल से प्रति हेक्टेयर 150-250 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।