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केसर भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ज्यादा महत्वपूर्ण और मंहगी है जो एक मसाला फसल है। केसर कोर्म विधि से उगाया जाता है। सबसे पहले कार्म अंकुरित होता है इसके बाद लाल नारंगी रंग के साथ लगभग 1-5 बैंगनी फूलों का उत्पादन करता है। केसर का उपयोग खाने के स्वाद के साथ रंग के रूप में भी किया जाता है। भारत में केसर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, श्रीनगर और किश्तवाड़ जिले में उत्पादित किया जाता है। भारत में केसर की खेती जम्मू, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार व मध्यप्रदेश में की जाती है। भारत में केसर की मांग वर्ष में 100 मीट्रिक टन है। इसका वार्षिक उत्पादन 6.46 टन से कम है जो 2,825 हेक्टेयर में उगाया जाता है। विश्व स्तर पर केसर का उत्पादन 418 मीट्रिक टन हर साल करता है। केसर का सबसे बड़ा उत्पादक देश ईरान है जो पूरे विश्व का 90 प्रतिशत केसर का उत्पादन करता है। इसके बाद ग्रीस तथा भारत का स्थान है।
केसर का रंग अपने आप में की स्वाद और गुणों का भण्डार है। भारत में केसर का सबसे ज्यादा उत्पादन कष्मीर के पामपुर में उत्पादित किया जाता है। केसर की खेती के लिये मुख्य रूप से ठण्ड व अच्छे वातावरण आवष्यक होता है जिसमें जम्मू और कश्मीर की सर्द वादियों में अच्छी खेती देखी जा सकती है। मसलन केसर क्रोकस पौधा जो मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। केसर के फूल का इस्तेमाल औषधीय और कास्मेटिक के रूप में भी किया जाता है।
केसर की खेती करने के लिये मिट्टी को महीन करके खेत को 25-35 सेमी. गहराई तक और 3-4 बार जुताई करनी चाहिए। केसर को सवंर्धित करने के लिये 15-20 सेमी. और 1.2-1.5 मीटर की चैड़ाई वाली क्यारियों के बीच 30 सेमी. चैड़ी नालियां बना लेना चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी और शुष्क क्षेत्रों में जिन क्षेत्रों में वर्षा कम मात्रा में होती है वहां क्यारियों की आवश्यकता नहीं होती है। अच्छे तथा बड़े आकार के केसर के कार्म उत्पादन के लिये 20x10 सेमी. की दूरी सर्वोत्तम है।
केसर की प्रमुख दो उन्नत किस्में हैं।
केसर के लिये तापमान पौधों और फूलों के विकास को नियंत्रित करता है और ठण्ड के समय बर्फ से चारों तरफ से ढका रहता है जो फूलों के लिये लाभकारी है। केसर 1500-2800 मीटर की ऊँचाई पर समुद्रतल से शुष्क समशीतोष्ण जलवायु में उगाया जाता हैं। केसर के कोर्म और फूलों की वृद्धि के लिये 23-27 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम उपयुक्त है।
केसर की सिंचाई irrigation of saffron: केसर की खेती के लिये कम पानी की जरूरत होती है। केसर की सिंचाई ठण्ड के शुरूआत में सितम्बर-अक्टूबर के अंत में 15 दिनों के बीच सिंचाई करना चाहिए।
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केसर की रोपाई का समय Saffron planting time: केसर की रोपाई सितम्बर से अक्टूबर के बीच उपयुक्त समय है। पर्वतीय क्षेत्रों में केसर की बुवाई 15 सितम्बर में की जाती है। मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में 1200-1800 मीटर में अक्टूबर के पहले बुवाई की जाती है।
एरोपोनिक विधि से केसर की खेती: यह तकनीकि हाइड्रोपानिक्स की तरह है जो नमी एवं भाप से मशीनों द्वारा उगाई जाती है। इस विधि में ना पानी और ना ही मिट्टी की जरूरत होती है। यह तकनीकि विदेशों में इस्तेमाल करके केसर को उगाया जाता है। इस तकनीकि में केसर की फसल को एक वर्ष में एक ही बार ले सकते हैं। इसमें हवा और पानी के मिश्रण पौधों को उगाया जाता है। इस विधि में कम जगह पर अच्छी बागवानी करके सफल खेती की जा सकती है। केसर के फूल उगने बाद उसमें जैविक खाद व पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस तकनीकि से फल तथा सब्जियों का उत्पादन भी कर सकते हैं।
केसर के लाभ तथा उपयोग Benefits and Uses of Saffron:
केसर की तुड़वाई:
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