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हरियाणा और उत्तर भारत में शीतलहर से किसानों की चिंता बढ़ी, फसलों को नुकसान का खतरा

पाले से बचाव के उपाय
पाले से बचाव के उपाय

हरियाणा समेत उत्तर भारत में बुधवार से लगातार भीषण शीतलहर चल रही है और मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में भी ऐसी स्थिति बनी रहने की संभावना है। हरियाणा के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे गिर चुका है। तापमान में आई इस तेज गिरावट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि आलू, सरसों और सर्दियों की सब्जियों जैसी फसलों को पाले से नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है, लेकिन अन्य फसलों के लिए यह एक बड़ा खतरा बन सकता है। शीतलहर (कोल्ड वेव) के कारण पाले का खतरा बढ़ गया है, जिससे सब्जियों और सरसों की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। हालांकि, अभी यह शुरुआती स्थिति है और कुछ दिन और इंतजार करने की जरूरत है ताकि शीतलहर का फसलों पर क्या असर होगा, यह स्पष्ट हो सके। 

मौसम में अचानक गिरावट का असर Effect of sudden drop in weather:

मौसम में अचानक हुए इस बदलाव से सब्जी, सरसों और गन्ने की फसलों को हानि हो सकती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पाले के प्रभाव को कम करने के लिए हल्की सिंचाई करें, ताकि फसलें सुरक्षित रहें। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि हरियाणा का औसत न्यूनतम तापमान मंगलवार के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस कम हुआ है और यह सामान्य से 3.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। हिसार और सोनीपत के बालसमंद में सबसे कम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस रहा। अन्य प्रमुख शहरों में अंबाला में न्यूनतम तापमान 7.7°C, हिसार में 3.3°C, करनाल में 4.8°C, भिवानी में 3.8°C, महेंद्रगढ़ में 1.9°C, सिरसा में 3.7°C, फतेहाबाद में 8.2°C और गुरुग्राम में 6.2°C दर्ज किया गया।

जाने पाले से बचाव के उपाय Know the ways to prevent frost:

फसलों को पाले से बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय सिंचाई है। लेकिन ध्यान रखें कि पाले से बचाने के लिए फसल को अत्यधिक पानी न दें, क्योंकि इससे खेत में जलभराव हो सकता है और फसल सड़ने का खतरा बढ़ सकता है। एक अन्य तरीका खेत के चारों ओर धुआं करने का है, जिससे हवा की नमी कम होती है और फसल पर पाला नहीं गिरता। अगर पाले का प्रभाव बहुत ज्यादा हो, तो फसल पर मल्च लगा सकते हैं, जिससे फसल ढक जाती है और पाले से बच जाती है। इसके अलावा, फसलों पर पाले से बचाने वाली दवाओं का छिड़काव भी किया जा सकता है। हालांकि, वर्तमान में स्थिति इतनी गंभीर नहीं है क्योंकि शीतलहर अभी शुरुआती चरण में है।

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