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भारत में रेशम उद्योग के विकास को मिलेगा बढावा: 'सिल्क समग्र-2' योजना से आत्मनिर्भरता की ओर कदम

रेशम उद्योग को बढ़ावा
रेशम उद्योग को बढ़ावा

केंद्र सरकार सेंट्रल सिल्क बोर्ड (Central Silk Board) के माध्यम से ‘सिल्क समग्र-2' (Silk Samagra-2) योजना का कार्यान्वयन कर रही है। इस योजना के तहत ₹4,679.85 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक देश में रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए लागू किया गया है।

रेशम किसानों और उद्योग को वित्तीय सहायता Financial assistance to silk farmers and industry:

इस योजना के तहत राज्यों को किसान नर्सरी स्थापना, रेशमकीट पालन पैकेज (जिसमें बागवानी, सिंचाई, पालन गृह, पालन उपकरण एवं सुरक्षा उपाय शामिल हैं), चावकी पालन केंद्रों की स्थापना, रेशम बीज उत्पादन, रेशम कताई, बुनाई एवं प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है।

अब तक, ₹1,075.58 करोड़ की केंद्रीय सहायता विभिन्न राज्यों को प्रदान की जा चुकी है, जिससे 78,000 से अधिक लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं। यह सहायता प्री-कून (Pre-Cocoon) और पोस्ट-कून (Post-Cocoon) गतिविधियों एवं मशीनरी के कार्यान्वयन के लिए दी गई है, जिससे रेशम उत्पादन क्षेत्र के विकास और स्थायित्व को बढ़ावा मिलेगा।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ता रेशम उद्योग Silk industry moving towards the goal of ‘self-reliant India’:

अनुसंधान और विकास (R&D) के माध्यम से रेशम उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे देश को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल रही है। सरकार की 'सिल्क समग्र-2' योजना का मुख्य उद्देश्य भारत को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले बाइवोल्टाइन रेशम (Bivoltine Silk) के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे रेशम निर्यात को भी मजबूती मिलेगी।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को विशेष सहायता: राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर, पिछले तीन वर्षों (वर्तमान वर्ष सहित) में आंध्र प्रदेश को ₹72.50 करोड़ और तेलंगाना को ₹40.66 करोड़ की केंद्रीय सहायता प्रदान की गई है। यह सहायता सिल्क समग्र-2 योजना के तहत लाभार्थी-केंद्रित घटकों के कार्यान्वयन के लिए दी गई है।

हथकरघा क्षेत्र को भी बढ़ावा: सरकार पूरे देश में, जिसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना भी शामिल हैं, कच्चा माल आपूर्ति योजना  और राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम लागू कर रही है। इन योजनाओं के तहत हथकरघा एजेंसियों और श्रमिकों को कच्चे माल की आपूर्ति, उन्नत करघों एवं सहायक उपकरणों की खरीद, सोलर लाइटिंग यूनिट, कार्यशाला निर्माण, उत्पाद विविधीकरण, डिजाइन नवाचार, तकनीकी और सामान्य आधारभूत संरचना, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विपणन, बुनकर मुद्रा योजना के तहत रियायती ऋण और सामाजिक सुरक्षा जैसी सहायता प्रदान की जाती है।

हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए मार्केटिंग इवेंट्स: रेशम और हथकरघा उद्योग को अधिक अवसर देने के लिए सरकार सेंट्रल सिल्क बोर्ड (CSB), राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP), एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EPC) और भारतीय रेशम निर्यात संवर्धन परिषद के सहयोग से प्रदर्शनियों, मेलों और एक्सपो का आयोजन कर रही है। ये कार्यक्रम कपड़ा मंत्रालय के सहयोग से किए जाते हैं ताकि हथकरघा उद्योग को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मंच मिल सके।

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