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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 'कृषि सखी' प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से इसे शुरु किया गया है। मंत्रालयों की तरफ से इस पहल का उद्देश्य 50,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षित करना है ताकि उन्हें कृषि मंत्रालय के अधीनस्थ कार्यालय राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र की तरफ से चरणबद्ध तरीके से प्रमाणन दिया जा सके।
यह कार्यक्रम दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत शुरू किया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, केंद्र इस काम के लिए नोडल संस्था है। प्रशिक्षण मॉड्यूल एनसीओएनएफ द्वारा तैयार किए गए हैं और अंतिम समीक्षा के लिए राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (एमएएनएजीई) को भेजे गए हैं।
ग्रामीण आजीविका के संयुक्त सचिव स्मृति शरण ने कहा कि प्रयोगशालाओं से मिट्टी तक टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर महत्वपूर्ण है और सामुदायिक संसाधन व्यक्ति इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सीआरपी छोटे और सीमांत किसानों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।