आधुनिक कृषि मशीनों की भूमिका कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये मशीनें महंगे इनपुट्स जैसे बीज, उर्वरक और सिंचाई जल का कुशलता से उपयोग बढ़ाने में मदद करती हैं, साथ ही विभिन्न कृषि कार्यों में मानव श्रम को कम करती हैं।
सरकार का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों तक कृषि यंत्रीकरण की पहुंच बढ़ाना है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां कृषि शक्ति की उपलब्धता कम है। इसके साथ ही, छोटे भूमि धारकों और कृषि मशीनों के व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली संकट की स्थिति को दूर करने के लिए 'कस्टम हायरिंग सेंटर' (CHCs) की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है।
केंद्रीय सहायता योजना के तहत 'सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मशीनाइजेशन' (SMAM) 2014-15 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इस योजना के तहत, किसानों को कृषि मशीनों की खरीद के लिए 40% से 50% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो किसानों की श्रेणी पर निर्भर करती है।
इसके अलावा ग्रामीण उद्यमियों (ग्रामीण युवा और किसान उद्यमी के रूप में), किसान सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान संघों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर और उच्च मूल्य वाली कृषि मशीनों के हाई-टेक हब स्थापित करने के लिए 40% से 80% वित्तीय सहायता दी जाती है। गांव स्तर पर कृषि मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए किसान सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान संघों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और पंचायतों को 30 लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए 80% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना में फसल उत्पादन और पोस्ट प्रोडक्शन गतिविधियों के लिए लगभग सभी कृषि मशीनों और उपकरणों को बढ़ावा दिया जाता है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग का उद्देश्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन देना है ताकि धान के अवशेषों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी प्रदान की जा सके। इस योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद के लिए 50% वित्तीय सहायता दी जाती है। यह योजना सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, सर्फेस सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइज़र ड्रिल जैसी मशीनों को बढ़ावा देती है।
ड्रोन पर 80% की वित्तीय सहायता: केंद्रीय सरकार ने वर्ष 2025-26 तक महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करने के लिए एक केंद्रीय योजना को मंजूरी दी है, जिसका बजट 1261 करोड़ रुपये है। इस योजना के तहत चयनित महिला SHGs को ड्रोन और सहायक उपकरणों की लागत का 80% केंद्रीय वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो एक ड्रोन पर अधिकतम 8 लाख रुपये तक होगी।
10,769 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित: 2014-15 से 2024-25 तक उत्तर प्रदेश राज्य को SMAM योजना के तहत 656.56 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि जारी की गई है। राज्य ने 1,76,722 मशीनें और उपकरण किसानों को सब्सिडी पर वितरित की हैं और 10,769 कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs), हाई-टेक हब्स और फार्म मशीनरी बैंक (FMBs) स्थापित किए हैं। फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत, 2018-19 से 2024-25 तक राज्य को 763.67 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि जारी की गई है और राज्य ने किसानों को 70,500 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें वितरित की हैं और 8,804 कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) स्थापित किए हैं।