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Soil health card: जैविक कार्बन में सुधार के लिये किसानों को प्रदान किया जायेगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मृदा स्वास्थ्य कार्ड
मृदा स्वास्थ्य कार्ड

खेती की जाने वाली मृदा में जैविक कार्बन की उपस्थिति की नियमित जांच मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से की जाती है। योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार राज्यों को प्रत्येक तीन वर्षों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना अनिवार्य है, ताकि मृदा में पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके। अब तक 24.60 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं।

मृदा में जैविक कार्बन की कमी के मुख्य कारण Main reasons for lack of organic carbon in soil:

  1. अनुचित कृषि प्रथाएं जैसे रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक या अनुचित उपयोग, बार-बार जुताई/हल चलाना, पराली जलाना, अत्यधिक चराई और कटाव।
  2. बारहमासी वनस्पतियों को मोनोक्रॉप और चरागाहों से बदलना।
  3. मृदा की भौतिक और रासायनिक विशेषताएं, जैसे उच्च मिट्टी घनत्व, अधिक कंकरीली संरचना, मृदा कटाव और कम जल धारण क्षमता/सिंचाई प्रबंधन की कमी।

जैविक कार्बन सुधार के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड Soil Health Card for Organic Carbon Improvement:

जैविक कार्बन सुधार के लिए सरकार मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता योजना के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान कर रही है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मृदा में जैविक कार्बन की जानकारी दी जाती है और किसानों को समेकित पोषक प्रबंधन के अंतर्गत रासायनिक उर्वरकों, जैविक खाद, और जैव उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए परामर्श दिया जाता है। यह मृदा की जैविक कार्बन मात्रा और स्वास्थ्य में सुधार करता है।

किसानों के लिए जैविक खेती में ₹15,000 की सहायता:

सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन विकास के माध्यम से जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से प्रति हेक्टेयर ₹15,000 की सहायता दी जाती है। यह सहायता तीन वर्षों तक ऑन-फार्म/ऑफ-फार्म जैविक इनपुट्स, मुख्यतः जैव उर्वरकों के लिए दी जाती है।

मल्टी-क्रॉपिंग और बायोमास मल्चिंग से बढेगा मिट्टी का पोषण: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन शुरूआत की है। इस मिशन के तहत मृदा की जैविक सामग्री, संरचना और पोषण में सुधार के लिए बायोमास मल्चिंग, मल्टी-क्रॉपिंग प्रणाली और ऑन-फार्म जैव इनपुट्स के उपयोग जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

जैविक खेती को बढ़ावा देने में ICAR की भूमिका: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भी विभिन्न स्थानों के लिए जैव-इंजीनियरिंग उपाय विकसित किए हैं, जो वर्षा जल के बहाव से होने वाले मृदा कटाव रेत के टीलों को स्थिर करने और पवन कटाव को रोकने में सहायक हैं। ICAR ने समस्या वाली मिट्टी के पुनरुद्धार के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं, जो मृदा जैविक कार्बन को बढ़ाने में मदद करती हैं। 

ICAR ऑर्गेनिक फार्मिंग पर नेटवर्क प्रोजेक्ट (NPOF) को 16 राज्यों के 20 केंद्रों के माध्यम से चला रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 68 फसली प्रणालियों के लिए स्थान-विशिष्ट जैविक खेती के पैकेज विकसित किए गए हैं, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है।

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